Defense Items Import Ban Decision: विदेशी बैन, अब देसी बंदूक चलाएंगे जवान
Defense Items Import Ban Decision: देश में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता लाने के लिए दिसंबर 2025 से पहले इन 371 रक्षा सामानों को देश में ही बनाने का फैसला लिया गया है।
Defense Items Import Ban Decision: सेना के जवानों के हाथों में बहुत जल्द देसी बंदूकें होंगी यानी मेड इन इंडिया बंदूकें। सिर्फ बंदूक ही नहीं बल्कि डिफेंस के कई आइटम अब विदेश से नहीं लिए जाएंगे।रक्षा मंत्रालय दिसंबर 2025 के बाद डिफेंस के तकरीबन 371आइटमों की स्वदेशी खरीद को अनिवार्य बना सकता है। इन सामग्रियों का निर्माण देश में किया जा रहा है तथा कोशिश यह हो रही है कि दिसंबर 2025 के बाद इनके इम्पोर्ट को पूरी तरह से बैन कर दिया जाए।
इम्पोर्ट बैन का फैसला
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, देश में रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता लाने के लिए दिसंबर 2025 से पहले इन 371 रक्षा सामानों को देश में ही बनाने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय डीआरडीओ, रक्षा उत्पादन विभाग और उद्योग जगत से परामर्श के बाद लिया गया। दरअसल, ये सभी सामान अभी विदेशों से आयात होकर आ रहे थे जबकि उद्योग जगत और सार्वजनिक रक्षा उपक्रम इनका देश में निर्माण करने में सक्षम थे। इनमें गोला, बारूद, विभिन्न प्रकार की बंदूकें, राइफलें, राडार, मानव रहित विमान, रक्षा प्लेटफार्म, वायुसान, जंगी पोत, पनडुब्बियां आदि शामिल हैं।
और आइटम होंगे बैन
दूसरे चरण में दिसंबर 2026 के बाद 66 और रक्षा सामग्री के आयात को प्रतिबंधित किया जाएगा। इसी प्रकार दिसंबर 2027 तक 29, 2028 तक 25, 2030 तक 14 और 2032 तक चार और रक्षा सामग्री का देश में ही निर्माण होगा तथा उनका विदेश से आयात बंद हो जाएगा। देश में बनीं इन रक्षा सामग्रियों के परीक्षण में सफल रहने के बाद सेनाओं पर इनकी खरीद की बाध्यता होगी। मौजूदा समय में सेनाएं वैश्विक टेंडर के जरिये रक्षा साजो सामान की खरीद करती हैं तथा उसमें देश की कंपनियां भी आवेदन कर सकती हैं। भविष्य में ग्लोबल टेंडर की जरूरत नहीं होगी। बल्कि टेंडर सिर्फ देशी कंपनियों के लिए ही निकाले जाएंगे। सूची में शामिल कई रक्षा सामान देश में बनने भी शुरू हो चुके हैं। लेकिन उनका इस्तेमाल सेनाओं में नहीं हो रहा है। इससे एक नुकसान यह हो रहा है कि उनका निर्यात नहीं हो पा रहा है। कई देश रक्षा सामान की खरीद में यह देखते हैं कि जिस देश से वह खरीद रहे हैं, उस देश की सेना में उनका इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। इसलिए जहां स्वदेशी खरीद से विदेशी मुद्रा की बचत होगी, वहीं विदेशों को निर्यात में भी बढ़ोत्तरी होगी।