नौसेना में शामिल हुई साइलेंट किलर, अब दुश्मनों के छूटेंगे पसीने
आज का दिन देश के नौसेना के लिए खास रहा। 10 मार्च यानि बुधवार के दिन भारतीय नौसेना को साइलेंट किलर’ सबमरीन आईएनएस करंज सौपा गई है। यह समुद्र में देश के ताकत को दोगुनी बढ़ा देगी। आप को बता दें कि...
नई दिल्लीः आज का दिन देश के नौसेना के लिए खास रहा। 10 मार्च यानि बुधवार के दिन भारतीय नौसेना को साइलेंट किलर’ सबमरीन आईएनएस करंज सौपा गई है। यह समुद्र में देश के ताकत को दोगुनी बढ़ा देगी। आप को बता दें कि इस दौरान नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और एडमिरल (सेवानिवृत्त) वीएस शेखावत की उपस्थिति रहें। तो चलिए आज जानते हैं क्या है साइलेंट किलर पंडुब्बी
क्यों पड़ा साइलेंट किलरः
साइलेंट किलर को आईएनएस कंजर कहा जाता है। आप को बता दें कि साइलेंट किरण का नामकरण की कहानी बहुत ही मजेदार है। कंजर के रह एक अक्षर का एक अलग मतलब है। K से किलर इन्सटिंक्ट, A से आत्मनिर्भर भारत, R से रेडी, A से एग्रेसिव, N से निम्बल और J से जोश। इस लिए आईएनएस करंज को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि ये बिना किसी आवाज के दुश्मन के खेमे में पहुंचकर तबाह करने की क्षमता रखती है।
आईएनएस कंजर की खासियतः
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यह कलावरी क्लास की तीसरी सबमरीन है। इस पनडुब्बी की लंबाई 221 फुट ऊंचाई 40 फुट गहराई 19 फुट और वजन 1565 टन है। इसमें मशीनरी सेट अप इस तरह किया गया है की इसमें लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप फिटिंग है। लगभग 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है। स्पेशल स्टील से बनी सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी के अधिक गहराई में जाकर काम करने में दक्ष है.
आधुनिक तकनीक से है लैसः
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स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस करंज में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे दुश्मन देशों की नौसेनाओं के लिए इसकी टोह लेना मुश्किल होगा। इन तकनीकों में अत्याधुनिक अकुस्टिक साइलेंसिंग तकनीक, लो रेडिएटेड नॉइज लेवल, हाइड्रो डायनेमिकली ऑपटिमाइज़्ड शेप शामिल है। पनडुब्बी को बनाते हुए पनडुब्बियों का पता लगाने वाले कारणों को ध्यान में रखा गया है जिससे ये पनडुब्बी ज्यादातर पनडुब्बियों की अपेक्षा सुरक्षित हो गई है।
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