Nupur Sharma: नूपुर शर्मा पर बीजेपी की कार्रवाई, बड़ बोले नेताओं को संदेश और छवि सुधारने की कोशिश
Nupur Sharma: दिल्ली बीजेपी की नेत्री नूपुर शर्मा पर बीजेपी ने सख्त एक्शन लेकर सबको चौंका दिया है। नूपुर पर कार्रवाई करने पर संदेश दिया कि बीजेपी नेतृत्व अब ऐसे नेताओं को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
Nupur Sharma: दिल्ली बीजेपी की तेजतर्रार नेता मानी जाने वाली नूपुर शर्मा पर बीजेपी ने सख्त एक्शन लेकर सबको चौंका दिया है। भारतीय जनता पार्टी में मोदी – शाह युग के सूत्रपात के बाद पार्टी में आक्रमक हिंदुत्व की लाइन पर चलने वाले नेताओं की पूछ बढ़ी है। भाजपा में ऐसे बयानवीरों की कमी नहीं है, जो अक्सर अपने बयानों से सियासी बखेड़ा खड़ा करते रहे हैं। लेकिन ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई के उदाहरण विरले ही मिले हैं।
भोपाल की बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा (Bhopal BJP MP Sadhvi Pragya), केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) समेत ऐसे कई नेता हैं जिनके विवादित बयानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तक अपनी नाराजगी जता चुके हैं। फिर भी इन्हें पार्टी से नहीं निकाला गया। ऐसे में नूपुर शर्मा पर कार्रवाई ने चौंकाया है। माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व अब ऐसे नेताओं को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। नूपुर पर कार्रवाई करके उन्होंने ये संदेश दे दिया है। तो आइए समझने की कोशिश करते हैं कि हिंदुत्व की हार्ड लाइन पर चलने वाली बीजेपी ने ऐसा सख्त एक्शन क्यों लिया।
मुस्लिम समुदाय को संदेश
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हमेशा से एक बड़ा चुनावी हथियार रहा है। बीजेपी के कामयाबी और नाकामयाबी में इसका असर बहुत बड़ी भूमिका अदा करते आया है। ऐसे में नूपुर पर कार्रवाई सोचने पर मजबूर कर देती है। दरअसल 2014 के बाद से देश में हिंदुत्व की राजनीति का बोल – बाला बढ़ा है। बीजेपी ने राम मंदिर, धारा 370, तीन तालाक और सीएए जैसे कानूनों को लाकर वो कर दिखाया, जिसकी आज तक किसी ने कल्पना नहीं की थी।
मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग मोदी सरकार (Modi Government) के इन कदमों को खुद को देश में अलग – थलग करने की कोशिश के रूप में देखता है। हालिया धर्म संसदों में जिस तरह से उन्हें टारगेट करके बयान दिए गए और उसपर सरकार की चुप्पी ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाल के दिनों में देश में ऐसी कई सांप्रदायिक घटनाएं हुई हैं, जो जहरीले बयानों के कारण हुई है। रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा इसका उदाहरण है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व नूपुर शर्मा और एक अन्य नेता पर कार्रवाई कर के देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय को एक संदेश देना चाहती है।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर छवि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) उन नेताओं में गिने जाते हैं, जो अपनी छवि को लेकर बेहद चौंकन्ने रहते हैं। जब कभी उनकी छवि पर कोई नकारात्मक परछाई आती है, वह फौरन रिएक्ट करते हैं। 2015 में भूमि अधिग्रहण कानून और हालिया कृषि कानून इसका सबसे सटीक उदाहरण है। इसी प्रकार विदेश नीति के मोर्चे पर सफलता के कई झंडे गाड़ने के बावजूद विश्व में मोदी सरकार की एक मामले में काफी आलोचना होती है, वह है देश में मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव। समय – समय पर कई अंतराष्ट्रीय देश इस पर चिंता और नाराजगी जता चुके हैं। सबसे ताजा उदाहरण अमेरिका की वह रिपोर्ट है, जिसमें भारत में रह रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनकी स्वतंत्रता पर चिंता जाहिर की गई है।
इसके अलावा खाड़ी के मुस्लिम देश भी कई बार इस मामले में भारत के सामने अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। पीएम मोदी ने सत्ता संभालने के बाद से खाड़ी देशों विशेषकर सऊदी अरब और यूएई के साथ रिश्तों को नई बुलंदियों पर पहुंचाया है। लेकिन कई बार भारत की आतंरिक राजनीति के कारण इन देशों के साथ संबंधों पर असर पड़ा है। नूपुर शर्मा मामले में कतर की नाराजगी एक ताजा उदाहरण है। संभव है कि आने वाले दिनों में कुछ और मुस्लिम देश अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं। इसी तरह कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब सोशल मीडिया पर राइट विंग ट्रोलर्स ने तब्लिगी जमात को लेकर मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भड़ी मूहिम शुरू की थी, तो यूएई की प्रिसेंस ने इसपर सख्त ऐतराज जताया था। ऐसे में नूपुर शर्मा पर कार्रवाई करके मोदी सरकार खाड़ी के मित्र मुस्लिम राष्ट्रों के साथ – साथ दुनिया को भी एक सकारात्मक संदेश देना चाहती है।