गढ़चिरौली हमला: C60 कमांडो के बारे में वो सबकुछ, जो आप जानना चाहते हैं

महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में नक्सलियों ने बुधवार को बड़ा हमला किया। नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट में C60 कमांडो की टीम के 15 कमांडो शहीद हो गए हैं। नक्सलियों ने C60 कमांडो की टीम पर गश्ती के दौरा घात लगाकर हमला किया।

Update: 2019-05-01 12:57 GMT

गढ़चिरौली: महाराष्ट्र के गढ़चिरोली में नक्सलियों ने बुधवार को बड़ा हमला किया। नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट में C60 कमांडो की टीम के 15 कमांडो शहीद हो गए हैं। नक्सलियों ने C60 कमांडो की टीम पर गश्ती के दौरा घात लगाकर हमला किया।

नक्सली समस्या से देश के कई राज्य पीड़ित हैं और इस पर काबू पाने के सभी राज्य कोशिशों में जुटे भी हैं। महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। इन नक्सलियों से लड़ने और उन पर नकेल कसने के लिए महाराष्ट्र में एक खास तरह की फोर्स है जिसके काम करने का अपना अलग ही अंदाज है।

गढ़चिरोली में जो जवान शहीद हुए हैं वो C-60 कमांडो हैं। महाराष्ट्र पुलिस की यह टीम देश के सबसे बेहतरीन कमांडो में गिनी जाती है। C60 के कमांडोज को महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सिलयों से लड़ने के लिए खास तरीके से प्रशिक्षित किया गया है। इस यूनिट को गढ़चिरोली पुलिस विभाग के तत्‍कालीन एसपी केपी रघुवंशी के नेतृत्‍व में 1992 में तैयार किया गया था।

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एक कमांडो अपने अभियान के दौरान पीठ पर करीब 15 किलो वजन का सामान भी ढोता है, जिसमें हथियार, खाना, पानी, रोजाना इस्तेमाल की चीजों के अलावा फर्स्ट एड जैसी जरूरी चीजें शामिल होती हैं।

फोर्स हर दिन सुबह ही खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर आगे की रणनीति बनाती है और उसी के आधार पर आसपास के क्षेत्र में अपनी योजना को अंजाम देती है। सब डीविजनल पुलिस ऑफिसर (SDPO) बासवराज शिवपुजे रोजाना के ऑपरेशंस के बारे में कमांडोज को बालू पर मॉडल बनाकर अगली रणनीति की जानकारी देते हैं।

इसके बाद 2 ग्रुपों में 30-30 कमांडोज बंट जाते हैं जिसमें से एक ग्रुप अपने पोस्ट से फ्रंट गेट से आगे बढ़ता है, जबकि दूसरा ग्रुप पीछे से निकलता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि क्षेत्र में कितने कमांडोज हैं, इसका पता न लग सके।

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दोनों टीमें अलग-अलग दिशा से जंगल में प्रवेश करती हैं और फिर करीब एक किलोमीटर अंदर जाकर मिल जाती हैं। गढ़चिरौली महाराष्ट्र का वो क्षेत्र है जो नक्सल से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां के घने जंगलों में हर महीने एक-दो काउंटर होते ही रहते हैं।

C60 कमांडोज पूरी तरह से अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, गढ़चिरौली पुलिस के पास 4 स्पेशलिस्ट ड्रोन है जिसके पास 4 हजार गुना हाई डिफिनेशन (HD) की इमेज रिजोल्यूशन की क्षमता है। इसका इस्तेमाल गश्त लगाने के दौरान जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए किया जाता है। ड्रोन बेहद धीमी आवाज में उड़ान भर सकता है जिससे माओवादियों को पता न लगे और 500 मीटर ऊंचाई तक की तस्वीरें भी निकाल सकता है।

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इस कमांडो फोर्स की टैग लाइन है, 'वीरभोग्‍या वसुंधरा' यानी सिर्फ बहादुरों को ही दुनिया पर राज करने का मौका मिलता है। ये कमांडो स्‍थानीय लोग होते हैं इसलिए इन्‍हें यहां के चप्‍पे-चप्‍पे के बारे में सब-कुछ पता होता है। इन्‍हें नक्‍सलियों के लीडर्स और उनके संगठन के बारे में भी हर जानकारी होती है। सी-60 कमांडो की यूनिट ने 15 टीमों के साथ काम करना शुरू किया था। आज इनकी 24 टीमें हैं।

इन टीमों को गढ़चिरौली हेडक्‍वार्ट्स और अहेररी प्रानहिता हेडक्‍वार्ट्स में बांट दिया गया है। जहां गढ़चिरौली हेडक्‍वार्ट्स के पास 24 टीमें हैं तो प्रानहिता के पास 10 टीमें हैं। अहेरी प्रानहिता का हेडक्‍वार्टर जिले के दक्षिण हिस्‍से में हैं। कमांडो की नौ टीमें गोदिंया में भी हैं।

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