राजस्थान की धड़कन तेजः फैसले के अनुमान को लेकर ये हैं सबके गणित

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट खेमे की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला तीन दिन के लिए सुरक्षित रख लिया है।

Update:2020-07-21 17:22 IST

नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट खेमे की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला तीन दिन के लिए सुरक्षित रख लिया है। हाईकोर्ट अब इस मामले में 24 जुलाई को फैसला सुनाएगा। तब तक इस स्पीकर कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। राजस्थान की सियासत में अब हाईकोर्ट का फैसला काफी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इससे राज्य की राजनीतिक दिशा तय होगी। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि हाईकोर्ट के फैसले से राजस्थान की सियासत में क्या-क्या संभावनाएं बन रही हैं।

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स्पीकर ने इसलिए जारी किया नोटिस

दरअसल राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने वाले सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में व्हिप के बावजूद कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा न लेने को आधार बनाया गया है। पायलट खेमे ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए तर्क दिया है कि सदन के बाहर होने वाली गतिविधियों के संबंध में स्पीकर कोई आदेश नहीं जारी कर सकते।दोनों खेमों की अपनी-अपनी दलीलें

हाईकोर्ट ने पायलट खेमे की ओर से देश के दो बड़े वकीलों ने दलीलें पेश कीं। दलीलें देते हुए हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने जिस शिकायत के आधार पर नोटिस जारी किया है, वह स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। दूसरी ओर स्पीकर की ओर से दलील रखते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी स्पीकर की ओर से विधायकों को सिर्फ नोटिस जारी किया गया है। स्पीकर की ओर से अभी तक विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया गया है। उन्होंने याचिका को प्रीमेच्योर भी बताया।

स्पीकर के पक्ष में फैसले से गहलोत को फायदा

हाईकोर्ट के फैसले का अगर सियासी विश्लेषण किया जाए तो यदि हाईकोर्ट का फैसला स्पीकर के पक्ष में आता है तो इससे गहलोत सरकार को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। इस स्थिति में सचिन पायलट और उनका समर्थन करने वाले 19 कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है। राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं और इन सदस्यों की सदस्यता समाप्त होने के बाद विधानसभा में 181 सदस्य ही बचेंगे। तब गहलोत सरकार को बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ 91 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायकों की कुल संख्या 107 है और पायलट खेमे के 19 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 88 रहेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस विधायकों के अलावा कई निर्दलीय विधायकों, ट्राइबल पार्टी और माकपा का भी समर्थन हासिल है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुमत साबित करना काफी आसान हो जाएगा और यह स्थिति पायलट खेमे को जबर्दस्त झटका पहुंचाने वाली होगी।

पायलट के पक्ष में फैसले से यह होगा नुकसान

यदि हाईकोर्ट का फैसला पायलट के पक्ष में आता है तो सचिन समेत 19 कांग्रेसी विधायकों को काफी ताकत मिलेगी और उनकी सदस्यता बच जाएगी। ऐसी स्थिति में राज्य में जोड़-तोड़ की सियासत शुरू हो जाएगी और कुछ और विधायकों के टूटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में भाजपा की ओर से सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया जा सकता है और फ्लोर टेस्ट की मांग उठ सकती है। फ्लोर टेस्ट होने पर गहलोत को सरकार बचाने के लिए कम से कम 101 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा।

सचिन पायलट और उनके खेमे के 19 विधायकों के सरकार का साथ न देने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 88 रह जाएगी। जोड़-तोड़ की सियासत शुरू होने पर यदि कुछ और कांग्रेस और निर्दलीय विधायक छिटक गए तो गहलोत सरकार के लिए बहुमत साबित करना टेढ़ी खीर हो जाएगा। हाईकोर्ट का फैसला सचिन खेमे के पक्ष में आने पर सचिन खेमे को भी बड़ी राजनीतिक ताकत मिलेगी और भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए अच्छा वक्त भी मिल जाएगा।

ऐसे फैसले से भाजपा को होगा फायदा

राजस्थान विधानसभा में इस समय भाजपा के विधायकों की संख्या 72 है और उसे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायकों का भी समर्थन हासिल है। अगर इसमें सचिन खेमे के 19 विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो भाजपा के पास कुल 94 विधायकों का समर्थन हो जाएगा। ऐसी स्थिति में भाजपा को सिर्फ सात और विधायकों की जरूरत होगी। अगर भाजपा कुछ निर्दलीय और कांग्रेसी विधायकों को तोड़ने में कामयाब हो गई तो सरकार बनाने के लिए उसका दावा भी मजबूत हो जाएगा।

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वैसे सचिन खेमे के पक्ष में फैसला आने की स्थिति में कांग्रेस के कुछ और विधायकों के छिटकने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यह स्थिति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बड़ा राजनीतिक झटका देने वाली साबित होगी। भाजपा अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल रही है मगर राज्य की सियासत में यह पूरी तरह साफ है कि वह पिछले दरवाजे से सचिन खेमे की मदद करने में जुटी हुई है।

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