भारत का दावा: अब इस वैक्सीन से होगा कोरोना का इलाज, जल्द शुरू होगा ट्रायल

अब ऐसे में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने कोरोना के लिए कुष्ठ रोग की वैक्सीन का ट्रायल कोरोना के लिए करने का निश्चय किया है।

Update: 2020-04-18 08:19 GMT

नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से जूझ रही है। इस वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। ऐसे में इस वायरस से निपटने के लिए दुनिया के हर देश के वैज्ञानिक साइनटिष्ट इस वायरस की वैक्सीन ढूँढने में लगे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें किसी को कोई फायदा नहीं हुआ है। ऐसे में भारत के भी सारे शोध संस्थान इस वायरस की दवा ढूंढने में लगे हैं। लेकिन फिलहाल अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। अब ऐसे में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने कोरोना के लिए कुष्ठ रोग की वैक्सीन का ट्रायल कोरोना के लिए करने का निश्चय किया है।

कुष्ठ रोग की वैक्सीन पर कोरोना का ट्रायल

भारत में सभी रिसर्च संस्थान कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढने में लगे हैं। ऐसे में CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, कोरोना वायरस के खिलाफ कुष्‍ठ रोग के इलाज में कारगर MW वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर रहा है। CSIR ने इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इं‍डिया का अप्रूवल ले लिया है। जल्द ही इसका टेस्ट शुरू कर दिया जाएगा। इसी बीच CSIR ने एक नया खुलासा करते हुए बताया कि भारत में कोरोना वायरस की कई प्रजाति मौजूद हैं। CSIR ने बताया कि भारत में अलग अलग देशों से लोग आए हैं।

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ऐसे में वुहान में फैला वायरस भी भारात में आया है और ईरान जो वायरस आया है वो भी वुहान के वायरस जैसा ही है। तो वहीं CSIR ने बताया कि इटली के लोगों में यूरोप और यूएस दोनों जगहों के वायरस दिखे। CSIR ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि हमारे यहां कई किस्म के वायरस हैं। ऐसे में हमें देखना होगा कि किस किस्म के वायरस पर कौनसी दवाई असर कर रही है। CSIR ने जानकारी कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हमने वैक्सीन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही इसके नतीजे हमारे सामने होंगे।

अमेरिकी वैज्ञानिक भी कर चुके हैं दावा

CSIR से पहले अमेरिकी वैज्ञानिक भी ऐसा दावा कर चुके हैं कि बीसीजी का टीका कोरोना वायरस के खिलाफ परिवर्तनकारी साबित हो सकता है। न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनवाईआईटी) के एक अध्ययन में इटली और अमेरिका का उदाहरण देते हुए राष्ट्रीय नीतियों के तहत कई देशों में लगाए जाने वाले बीसीजी के टीके और कोविड-19 के प्रभाव की बात कही गई है। एक अनुसंधानकर्ता ने कहा कि हमने जानकारी कारने पर ऐसा पाया है कि जिन देशों में बीसीजी टीकाकरण की नीतियां नहीं हैं, वहां कोरोना वायरस से लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

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ऐसे देशों का उदाहरण इटली, नीदरलैंड और अमेरिका हैं। वहीं इसके विपरीत उन देशों में लोगों पर कोरोना वायरस का ज्यादा असर नहीं पड़ा है जहां लंबे समय से बीसीजी टीकाकरण की नीतियां चली आ रही हैं। अध्ययन के अनुसार संक्रमण और मौतों की कम संख्या बीसीजी टीकाकरण को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक ''गेम-चेंजर'' बना सकती है।

ICMR ने बीसीजी को नहीं माना प्रभावशाली

ऐसे में जब एक तरफ CSIR और अमेरिकी वैज्ञानिक बीसीजी की वैक्सीन को कोरोना के लिए काफी लाभकारी मान रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में बीसीजी के वैक्सीनेशन को प्रभावशाली नहीं माना है। ICMR प्रमुख डॉ. आर गंगाखेड़कर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि काउंसिल इस दवाई के प्रयोग की सलाह तब तक नहीं देगा, जब तक कि स्पष्ट परिणाम सामने ना आ जाएं। डॉ. गंगाखेड़कर ने कहा कि ICMR अगले हफ्ते से क स्टडी शुरू करने जा रहा है।

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चूंकि अभी हमारे पास कोरोना के खिलाफ बीसीजी के टीके के स्पष्ट परिणाम नहीं हैं। इसलिए हम इसे हेल्थ वर्कर्स पर भी नहीं इस्तेमाल करेंगे। डॉ. आर गंगाखेड़कर ने कहा कि बीसीजी का टीका जन्म के तुरंत बाद देना पड़ता है। लेकिन टीका लेने के बाद किसी को टीबी जैसी बीमारी नहीं होगी, ये दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीसीजी दिमागी सिर्फ बुखार के काम आता है इसलिए इससे सिर्फ आंशिक बचाव ही हो सकता है।

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