नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने बेबाकी से दिए GST से जुड़े सवालों के जवाब
नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय का कहना है कि देश के विनिर्माण उत्पादन में आई गिरावट के पीछे जीएसटी को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा, क्योंकि विनिर्माण उद्योग ऐसी समस्याओं से जूझ रहा है, जिसका समाधान कर प्रणाली में सुधार कर हासिल नहीं किया जा सकता।
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देबरॉय ने कहा, "जीएसटी का विनिर्माण पर असर क्यों होना चाहिए? इसका एकमात्र उत्तर जो हो सकता है, वह है कि नियमों में अस्पष्टता और कुछ मामलों में जीएसटी दर की अस्पष्टता।"
देबरॉय ने कहा, "ये चीजें कुछ समय तक बनी रहेंगी, जिसकी हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि संक्रमण काल के समाप्त होने के साथ ही ये समस्याएं भी समाप्त हो जाएंगी।"
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निक्केई इंडिया सर्विसेज (पीएमआई) बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद देश के विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में पिछले महीने गिरवाट दर्ज की गई।
जुलाई में पीएमआई इंडेक्स 47.9 अंकों पर रहा, जो फरवरी, 2009 के बाद से न्यूनतम है, जबकि इससे ठीक पिछले महीने जून में यह 50.9 अंक पर था।
क्या किसी गंभीर समस्या से विनिर्माण क्षेत्र संकट में है? इस सवाल के जवाब में देबरॉय ने कहा, "इस बात से मैं सहमत हूं।"
उन्होंने कहा, "जहां तक विनिर्माण क्षेत्र की बात है, तो इसे प्रभावित करने वाली समस्याओं की लंबी सूची है, जिनमें ऊर्जा और परिवहन जैसी बुनियादी अवसंरचना से जुड़ी समस्याएं, प्रक्रियागत एवं कर से जुड़ी समस्याएं और कर्ज से संबंधित समस्याएं शामिल हैं।"
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नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि ये समस्याएं नई नहीं हैं और लंबे समय से विनिर्माण क्षेत्र की हालत खराब किए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में सुधार लाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, लेकिन परिणाम दिखाई पड़ने में कुछ समय लग सकता है।
देबरॉय ने कहा, "सुधार के लिए जो कदम उठाए गए हैं, उनमें से किसी भी उपाय से समस्या छह महीने में ठीक नहीं हो जाएगी। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के लिए इस सरकार ने जो भी उपाय किए हैं, उन्हें अर्थशाी आपूर्ति प्रणाली के उपाय कह सकते हैं। इसलिए इसमें समय लगेगा। तुरत-फुरत में कुछ ठीक नहीं होगा।"