Mallikarjun Kharge : मल्लिकार्जुन खड़गे की राह आसान नहीं है, ये हैं बड़ी चुनौतियां

Mallikarjun Kharge कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, ये सच है। लेकिन, हिन्दी भाषी राज्यों में वे कितना कनेक्ट बना पाएंगे ये देखने की बात होगी। खासतौर से 2024 के लोकसभा चुनाव में।

Written By :  Raj Kumar Singh
Update:2022-10-20 13:57 IST

Mallikarjun Kharge (Social Media)

Mallikarjun Kharge : मल्लिकार्जुन खड़गे, दक्षिण भारत के ये दिग्गज नेता अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। 24 साल बाद कांग्रेस की बागडोर किसी गैर गांधी नेता के हाथ में है। खड़गे कांग्रेस के इतिहास में दूसरे दलित अध्यक्ष हैं। इसके पहले जगजीवन राम (Jagjivan Ram) ने इस दायित्व को संभाला था। कांग्रेस की कल्पना गांधी-नेहरू परिवार के बगैर करना किसी दिवास्वप्न से कम नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी, इसमें कोई शक नहीं। चुनौतियां तो इस समय पूरी कांग्रेस के सामने हैं लेकिन नए अध्यक्ष के ऊपर इनका दबाव अधिक होगा। तो आइए जानते हैं कि कर्नाटक के इन 80 साल के नेता के सामने कौन सी बड़ी चुनौतियां हैं-

गुजरात-हिमाचल विधानसभा चुनाव अहम 

इस समय हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Election 2022) और गुजरात के विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) सिर पर हैं। चुनाव प्रचार भी जोर पकड़ चुका है। हिमाचल चुनाव की तारीखें भी घोषित हो चुकी हैं। ये दोनों ही राज्य कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही सत्ता की अदला-बदली होती रही है। मगर, इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) भी एक फैक्टर है। बीजेपी ने यहां बहुत ही आक्रामक तरीके से प्रचार छेड़ रखा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल (PM Modi in Himachal Pradesh) में सभा कर चुके हैं। ऐसे में इस पर्वतीय राज्य की चुनौती खड़गे के लिए आसान नहीं होगी।

AAP कर रही कांग्रेस का नुकसान 

इसी तरह, गुजरात में भी विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। मोदी का गृह राज्य होने के कारण गुजरात चुनाव पर देश और दुनिया की निगाहें रहती हैं। इस बार गुजरात में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) भी काफी सक्रिय हैं। कहा तो ये भी जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) यहां बीजेपी से अधिक कांग्रेस का नुकसान कर रही है। यहां उल्लेखनीय है कि अगले साल खड़गे के गृह राज्य कर्नाटक (Karnataka) में भी चुनाव होने हैं। ऐसे में इस दक्षिण भारतीय नेता की साख और शक्ति दोनों की ही परीक्षा यहां होगी।

कांग्रेस में गुटबाजी

कांग्रेस में बीते कुछ दिनों से गुटबाजी चरम पर है। वरिष्ठ नेता भी आलाकमान, खासतौर से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं। हाल ही में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद (Ghulam Nabi Azad on Congress) ने ऐसे ही आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी। इसके साथ जी-23 (Congress G-23) समूह के नेता भी पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं। इन नेताओं को साधना एक चुनौती है।

राजस्थान बना सिरदर्द 

इसी तरह राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो लगातार कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द बना हुआ है। यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) का झगड़ा सुलझ ही नहीं रहा है। अशोक गहलोत तो कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के दौरान ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बात की अवहेलना कर चुके हैं।

सोनिया-राहुल-प्रियंका का आभामंडल

इसमें दो राय नहीं कि कांग्रेस का एक मतलब नेहरू-गांधी परिवार है। इस समय राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' (Bharat Jodo Yatra) से और साफ हो गया है। कांग्रेस के लिए राहुल गांधी से बड़ा और महत्वपूर्ण इस समय कोई नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में भी कई राज्यों में कांग्रेस राहुल गांधी को अध्यक्ष चाहते थे। देश में कांग्रेस कार्यकर्ता भी राहुल और प्रियंका गांधी में ही कांग्रेस का नेतृत्व देखते हैं। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे इनकी छाया से अलग होकर कैसे काम करेंगे, ये देखना दिलचस्प होगा।

2024 के लोकसभा चुनाव और हिंदी बेल्ट में स्वीकार्यता

मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, ये सच है। लेकिन, हिन्दी भाषी राज्यों में वे कितना कनेक्ट बना पाएंगे ये देखने की बात होगी। खासतौर से 2024 के लोकसभा चुनाव में। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से 80 सीटें हैं। बीजेपी की जीत में यूपी बड़ी भूमिका निभा रहा है। यहां अमेठी जैसी पारंपरिक सीट भी राहुल गांधी गंवा चुके हैं। ऐसे में यूपी एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़गे के सामने है।

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