वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने की मोदी सरकार की तैयारी, एक्ट में होगा बड़ा संशोधन, कल संसद में पेश हो सकता है बिल
Waqf Board: एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड के दावे के सत्यापन को अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है।
Waqf Board: केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने की तैयारी में जुटी हुई है। केंद्र सरकार की ओर से वक्फ अधिनियम में बड़े संशोधन की तैयारी है। जानकारों का कहना है कि मोदी कैबिनेट की ओर से 40 से अधिक संशोधनों को मंजूरी दे दी गई है। दरअसल मोदी सरकार किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने और वक्फ बोर्ड की अन्य अनियंत्रित शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है। केंद्र सरकार की ओर से जिन संशोधनों को मंजूरी दी गई है,उनमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने से जुड़ा हुआ संशोधन भी शामिल है। मोदी सरकार की ओर से 5 अगस्त को वक्त एक्ट में संशोधन का बिल संसद में पेश किया जा सकता है। इस दौरान विपक्ष की ओर से हंगामे की आशंका भी जताई जा रही है।
वक्फ बोर्ड के दावे का सत्यापन होगा अनिवार्य
एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड के दावे के सत्यापन को अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। उन संपत्तियों का सत्यापन भी अनिवार्य करने की तैयारी है जिन्हें लेकर मालिकों और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है। देश के कई इलाकों में किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में दर्ज करने के मामले सामने आए हैं। इसीलिए सरकार ने अब वक्फ बोर्ड पर अंकुश लगाने का फैसला किया है। मौजूदा समय में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख से अधिक संपत्तियां हैं जो देश के विभिन्न इलाकों में 9.4 लाख एकड़ में फैली हुई है। इससे वक्फ बोर्ड की ताकत को समझा जा सकता है।
संसद में कल बिल पेश करने की तैयारी
जानकार सूत्रों का करना है कि वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने का बिल कल 5 अगस्त को संसद में पेश किया जा सकता है। 5 अगस्त की तारीख मोदी सरकार के लिए विशेष मायने रखती है। 2019 में इसी दिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐतिहासिक बिल संसद में पेश किया गया था जिसे लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया था। 2020 में इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन भी किया था और अब 2024 में इसी दिन मोदी सरकार वक्फ बोर्ड पर अंकुश लगाने का बिल संसद में पेश करने वाली है। इस बिल को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की ओर से हंगामा किए जाने की आशंका है। यूपीए सरकार ने 2013 में वक्फ एक्ट में संशोधन करके वक्फ बोर्ड को व्यापक अधिकार प्रदान कर दिए थे जिसके बाद तमाम संपत्तियों को लेकर विवाद पैदा होता रहा है।
सरकार पहले भी कर चुकी है विचार
मोदी सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर लगाम लगाने का विचार पहले भी किया गया था। इसके तहत केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों की निगरानी के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को भी शामिल करने की संभावना पर विचार किया था। वक्फ बोर्ड के किसी भी फैसले के खिलाफ सिर्फ कोर्ट में अपील की जा सकती है और इस मामले के निपटारे के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है। इस संबंध में कोर्ट का निर्णय ही अंतिम माना जाता है जबकि हाईकोर्ट में पीआईएल के अलावा अपील का कोई और प्रावधान नहीं किया गया है।
कानून में संशोधन की क्यों है जरूरत
जानकारों का कहना है कि वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए महसूस की गई है क्योंकि मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया व बोहरा जैसे संप्रदायों की ओर से कानून में संशोधन की मांग की जाती रही है। कई मुस्लिम देशों में भी वक्फ बोर्ड के पास इतनी ताकत नहीं है जितनी भारत में है। ऐसे में सबकी निगाहें मोदी सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले बिल पर लगी हुई हैं।