राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए सरकार ने बनाया ब्लू प्रिंट
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली: दिल्ली की नाक के नीचे नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे दुर्घटनाओं के मामले में उत्तर भारत में सबसे आगे है। ताज सिटी आगरा को नोएडा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक हजार दिन की अवधि में 2,194 दुर्घटनाओं में 319 लोगों की मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि हाईवे दुर्घटनाओं के मामले में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान सबसे आगे हैं।
डिजाइन और इंजीनियरिंग में सुधार की पहल
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने खतरनाक दुर्घटनाओं वाले ऐसे 750 स्थलों की पहचान की है जहां पर सड़कों की डिजाइन और इंजीनियरिंग में आवश्यक सुधार के कदम उठाने की पहल की जा रही है। सड़क परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दुर्घटना आशंकित 20 जगहों की पहचान
की गई है। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हैं।
ओवरब्रिजों का अभाव बड़ा कारण
एनएचआई ने सर्वे में पाया कि सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं ओवरब्रिजों के अभाव में हो रही हैं। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया है कि एक तो इस कसरत में बहुत ज्यादा बजट खर्च होगा और दूसरा इसमें बहुत ज्यादा वक्त लगेगा।
गडकरी ने बनाया ब्लू प्रिंट
विशेषज्ञों की सलाह पर गडकरी ने कम खर्च वाली ऐसी योजना का ब्लू प्रिंट फाईनल कर दिया है, जिसमें बहुत कम खर्च आएगा और आगामी दीवाली से पहले इन सुधारात्मक कदमों को लागू भी कर दिया जाएगा। सरकार का आकलन है कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए के बजट के तात्कालिक प्रावधान की आवश्यकता है।
कई देशों ने निकाला बचाव का रास्ता
हाल में राजमार्ग मंत्रालय में दुर्घटनाओं को रोकने के बारे में हुई बैठक में विदेशों में लंबे हाईवेज में दुर्घटनाओं पर काबू करने के उपायों की भी समीक्षा की गई। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक घुमावदार सड़कें सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया में भी हैं। वहां करीब 700 किमी घुमावदार सड़कें चिह्नित की गई हैं। ऐसे मुल्कों ने सबसे सरल उपाय यह किया कि दुर्घटनाओं की संभावना वाली ऐसी सड़कों को चौड़ा किया और फिर राजमार्गों से जुड़ी हुई साइड बेल्ट को ऐसे राजमार्ग में समाहित किया गया।
तीखे मोड़ भी हादसे की बड़ी वजह
उन देशों के अनुभवों को साझा करते हुए यह तय किया गया है कि ऐसे दुर्घटना जनित क्षेत्रों में तात्कालिक तौर पर यही कदम उठाया जाए। अधिकारियों का कहना है कि घुमावदार सड़कों पर दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण
है जोखिम भरे मोड़ों पर बस चालकों का संतुलन खो जाना।
केंद्र सरकार गंभीर
केंद्र सरकार ने दुर्घटनाओं में होने वाली मानव क्षति को तत्काल कम करने के कदम उठाते हुए दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर सभी आवश्यक कदम उठाने की योजना पर काम करना आंरभ कर दिया है। उपरोक्त चार राज्यों के अलावा बाकी प्रदेशों में भी 25 ऐसी खतरनाक जगहों की तलाश की गई है, जहां 2012 से 2014 तक औसतन हर साल कम से कम 100 खतरनाक दुर्घटनाएं हुई हैं।
भारत में हर चार मिनट में होती है एक मौत
पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में करीब 410 से अधिक लोग रोज कहीं न कहीं दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं। 2015 में करीब 1.5 लाख लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई। दुनिया में भारत अकेला मुल्क है जहां सबसे ज्यादा लोग दुर्घटना के शिकार हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर चार मिनट में देश में एक व्यक्ति सड़क हादसों में अपनी जान गंवाता है।