मुजफ्फरपुर बालिका गृह: सभी 21 आरोपियों के खिलाफ 'पॉक्सो एक्ट' के तहत आरोप तय

दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ शनिवार को आरोप तय कर दिया। इन आरोपों में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की आपराधिक साजिश भी शामिल है।

Update: 2019-03-30 11:39 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ शनिवार को आरोप तय कर दिया। इन आरोपों में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की आपराधिक साजिश भी शामिल है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने 21 आरोपियों पर मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। बलात्कार (376) और आपराधिक साजिश के अलावा अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉस्को) अधिनियम की विभिन्न धाराओं और अन्य आरोपों के तहत भी आरोप तय किए हैं। वहीं, अदालत के समक्ष पेश हुए सभी आरोपियों ने खुद के बेकसूर होने का दावा किया है।

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इस मामले के कथित मास्टरमाइंड और रसूखदार व्यक्ति ब्रजेश ठाकुर पर पॉस्को कानून के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस अपराध के लिए कम से कम 10 साल की कैद और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। सभी 20 आरोपियों पर किशोरियों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए हैं। अदालत बलात्कार, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, किशोरियों को नशीला पदार्थ देने, आपराधिक भयादोहन के आरोपों पर सुनवाई करेगी।

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मुख्य आरोपी ठाकुर और उसके बालिका गृह के कर्मचारियों तथा बिहार समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों पर आपराधिक साजिश रचने, कर्तव्य नहीं निभाने, लड़कियों के यौन उत्पीड़न को रिपोर्ट करने में नाकाम रहने के आरोप तय किए गए हैं। उनके खिलाफ अपने प्राधिकार में मौजूद बच्चियों पर निर्ममता बरतने के आरोप भी शामिल हैं।

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उच्चतम न्यायालय ने सात फरवरी को यह मामला बिहार से दिल्ली के साकेत स्थित पॉस्को अदालत भेजने का आदेश दिया था। ठाकुर के एक एनजीओ द्वारा संचालित किए जाने वाले इस बालिका गृह में कई लड़कियों का कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था। यह मामला पिछले साल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया था।

भाषा

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