भारत पर आफत बना म्यांमार का तख्ता पलट, बाॅर्डर हुए सील, देश में होने लगा विरोध

म्यांमार में सैनिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन जारी है और सेना का दमन भी। इसके खिलाफ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कई संगठन आवाज उठा रहे हैं।

Update:2021-03-22 11:57 IST

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। म्यांमार में सैनिक तख्तापलट के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। साथ ही म्यांमार के आन्तरिक हालात भारत के लिए भी सिरदर्द बंटे जा रहे हैं। एक वजह म्यानमार से भाग कर लोगों का भारत में घुसना या घुसने की कोशिशें हैं तो दूसरी ओर म्यांमार सेना के कथित उत्पीड़न के खिलाफ मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड में विरोध के स्वर लगातार तेज होने लगे हैं।

तख्ता पलट के बाद से म्यांमार सेना के खिलाफ प्रदर्शन

म्यांमार में सैनिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन जारी है और सेना का दमन भी। इसके खिलाफ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कई संगठन आवाज उठा रहे हैं। म्यांमार से सैकड़ों लोग भाग कर मिजोरम में शरण लेने आ चुके हैं। म्यांमारी सेना की ओर से उनको वापस भेजने की अपील के बाद केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ रोकने के लिए कड़ा कदम उठाने का निर्देश दिया है।

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भारत- म्यांमार के बीच सीमा पर मुक्त आवाजाही समझौता

भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही का समझौता है जिसके तहत सीमावर्ती इलाकों में रहने वाली जनजातियों के आदिवासी बिना किसी वीजा के महज एक परमिट के आधार पर एक-दूसरे देश की सीमा में 16 किमी तक भीतर आ जा सकते हैं। इस सीमा के दस किमी के दायरे में 250 से ज्यादा गांव हैं जिनमें तीन लाख से ज्यादा की आबादी रहती है। ये लोग अक्सर डेढ़ सौ प्रवेश चौकियों से होकर सीमा के आर-पार आवाजाही करते रहे हैं।

तख्तापलट के बाद 150 पुलिसवालों के परिवारों ने मिजोरम मे ली शरण

बीते महीने म्यांमार में सेना की ओर से तख्तापलट के बाद सीमा पार से इसी समझौते का लाभ उठा कर कई लोग मिजोरम के सीमावर्ती इलाकों में आए हैं। अब पुलिस वाले भी यहां आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार से कम से कम 150 पुलिसवालों और उनके परिजनों ने मिजोरम में शरण ली है।

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भारत- म्यांमार में अच्छे सम्बन्ध

भारत और म्यांमार के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। लेकिन अब बीच में चीन आ गया है। म्यांमार की सेना का झुकाव चीन की तरफ है। सीमा पार से शरणार्थियों के भाग कर भारत आने की खबरों और इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच संभावित तनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा पर तैनात असम राइफल्स को सीमा पार से लोगों के आने पर अंकुश लगाने को कहा है।

बिना वैध पासपोर्ट और वीजा के म्यांमार से भारतीय सीमा में प्रवेश पर लगी रोक

निर्देश में कहा गया है कि बिना वैध पासपोर्ट और वीजा के म्यांमार से किसी को भारतीय सीमा में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।

म्यांमार से भाग कर मिजोरम पहुंचे पुलिसवालों का कहना है कि उन्होंने सेना का आदेश मानने से इंकार कर दिया था। इससे उनकी जान को खतरा था इसलिए मजबूरन उनको सपरिवार भारत आना पड़ा।

मिजोरम के सीएम ने किया म्यांमार से आने वालों का स्वागत

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा है कि म्यांमार में हमारे भाइयों और बहनों को सेना के तख्तापलट की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम उन लोगों का स्वागत करते हैं जो अपनी जान बचाने के लिए मिजोरम आने पर मजबूर हैं। सरकार इस बात का ध्यान रख रही है कि वे भुखमरी का सामना न करें और इसलिए उसी के अनुरूप व्यवस्था की जा रही है।

पीएम मोदी से सीएम जोरामथंगा ने की म्यांमार शरणार्थियों के लिए अपील

मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने पीएम मोदी को चिट्टी लिखी है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से म्यांमार के शरणार्थियों को भारत में आने देने की अपील की है। जोरामथंगा ने कहा है कि ‘म्यांमार की बेहद खराब स्थिति को लेकर भारत सरकार को हस्तक्षेप करते हुए राजनीतिक शरणार्थियों और दूसरे शरणार्थियों को भारत में शरण देना चाहिए।‘ मिजोरण के मुख्यमंत्री ने लिखा है कि ‘म्यांमार में लोग तबाही का मंजर देख रहे हैं, उनके साथ बर्बर व्यवहार हो रहा है और उसे हम अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं, लिहाजा म्यांमार से भारत भागकर आने वाले शरणार्थियों के लिए भारत का दरवाजा खोलना चाहिए।‘

म्यांमार ने अपने पुलिसकर्मियों को भारत से लौटाने को कहा

दूसरी ओर, म्यांमार ने भारत से अपने पुलिसकर्मियों को वापस लौटाने के लिए कहा है। सीमावर्ती चंपाई की उपायुक्त मारिया सी टी जुआली ने बाते कि उनको म्यांमार के फलाम जिले के उपायुक्त का एक पत्र मिला है जिसमें दोनों देशों के आपसी रिश्तों को ध्यान में रखते हुए आठ पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेने और म्यांमार को सौंपने का अनुरोध किया गया है। फिलहाल इस बारे में केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।

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शुरू में असम राइफल्स भी ज्यादा रोकटोक नहीं कर रही थी। लेकिन केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वह बैलेंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। असम राइफल्स को यहां मिजोरम के लोगों के बीच काम करना है और लोगों की भावनाएं म्यांमार से आ रहे लोगों के साथ हैं और वे चाहते हैं कि उन्होंने मानवीय आधार पर शरण दी जाए।

नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टार्चर ने की मानवाधिकार आयोग से अपील

नई दिल्ली स्थित संगठन नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टार्चर (एनसीएटी) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अपील की है कि तख्तापलट के बाद म्यांमार से भाग कर भारत पहुंचने वाले लोगों को शरणार्थी का दर्जा देने की कार्रवाई शीघ्र शुरू की जानी चाहिए।

भारत में मानावाधिकार संगठन कर रहे म्यांमार के शरणार्थियों का समर्थन

म्यांमार में सेना के कथित अत्याचारों और उत्पीड़न के खिलाफ वहां जारी नागरिक अवज्ञा आंदोलन को अब मिजोरम के अलावा मणिपुर और नागालैंड के मानवाधिकार संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। आल मणिपुर ट्राइबल यूनियन (एएमटीयू) के कार्यकारी अध्यक्ष रोमियो बंगडोन कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को म्यांमार में शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि आम लोगों को सेना के उत्पीड़न से बचाया जा सके।

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नागालैंड के टेनयिमी स्टूडेंट्स यूनियन ने भी म्यांमार के आम लोगों का समर्थन किया है। इस यूनियन में दस नागा जनजातियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल लंबी सीमा म्यामांर से लगी

पूर्वोत्तर के चार राज्यों, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश की 1,643 किमी लंबी सीमा म्यामांर से लगी है। सीमावर्ती इलाकों में आबादी, बोली, रहन-सहन और संस्कृति में भी काफी समानताएं है। वहां रहने वाली जनजातियों में आपस में रोटी-बेटी का रिश्ता चलता है। म्यांमार में होने वाली किसी भी उथल-पुथल का खासकर मिजोरम पर सीधा असर पड़ता है जिसकी 510 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार से लगी है।

राज्य की सबसे बड़ी मिजो जनजाति जातीय रूप से सीमा पार चिन राज्य की चिन जनजाति से जुड़ी है। चिन तबका मणिपुर के कूकी-जोमी समुदाय से भी जुड़ा है। म्यांमार में नागा जनजाति के लोग भी काफी तादाद में हैं और उनके संबंध मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले नागा जनजाति के लोगों से हैं।

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