नए इनोवेशन करेंगे कोविड-19 से निपटने में मदद
दुनिया भर में कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण नए इनोवेशन हो रहे हैं। भारत में भी विभिन्न संस्थानों और स्टार्टअप्स ने इस संकट की घड़ी से निपटने के लिए कई नए इनोवेशन किए हैं जो भविष्य में इस तरह की महामारी से सुरक्षा प्रदान करने में काफी मददगार होंगे। ये उपकरण सस्ते हैं और बड़ी संख्या में बनाए जा सकते हैं।
नई दिल्ली दुनिया भर में कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण नए इनोवेशन हो रहे हैं। भारत में भी विभिन्न संस्थानों और स्टार्टअप्स ने इस संकट की घड़ी से निपटने के लिए कई नए इनोवेशन किए हैं जो भविष्य में इस तरह की महामारी से सुरक्षा प्रदान करने में काफी मददगार होंगे। ये उपकरण सस्ते हैं और बड़ी संख्या में बनाए जा सकते हैं।
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पोर्टेबल इमरजेंसी यूज वेंटिलेटर
आईआईटी हैदराबाद के सेंटर फॉर हेल्थकेयर एंटरप्रेन्योरशिप के इनक्यूबेटेड स्टार्टअप एरोबयोसिस इनोवेशन्स ने कम लागत वाले, पोर्टेबल और इमर्जेंसी-यूज वेंटिलेटर को बनाया है जिसे जीवन लाइट नाम दिया गया है। इसे एप के जरिए भी चलाया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में बिजली की समस्या है, वहां भी इसे बैटरी से चलाया जा सकता है। एरोबायोसिस इनोवेशन का इरादा प्रति दिन कम से कम 50 से 70 यूनिट का उत्पादन करना है। जीवन लाइट की कीमत 1 लाख रुपये है।
कम लागत वाले फेस शील्ड
आईआईटी रुड़की की ‘टिंकरिंग लैब’ ने कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एम्स ऋषिकेश के हेल्थ वर्कर्स के लिए कम लागत वाला फेस शील्ड विकसित किया है। फेस शील्ड का फ्रेम 3 डी प्रिंटेड है। शील्ड के सुरक्षा कवच का डिजाइन चश्मे की तरह है और इसको बदलना बेहद आसान है, क्योंकि पारदर्शी शीट दोबारा उपयोग में आने वाली फ्रेम से बंधी नहीं होती है। प्रति शील्ड की निर्माण लागत लगभग 45 रुपये है।
सस्ता पोर्टेबल वेंटिलेटर
आईआईटी रुड़की ने कम लागत वाला एक पोर्टेबल वेंटिलेटर भी तैयार किया है जिसे ‘प्राण-वायु ’ नाम दिया गया है। यह क्लोज्ड-लूप वेंटिलेटर है जिसे एम्स ऋषिकेश के सहयोग से विकसित किया गया है। इसका सफल परीक्षण सामान्य और सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे मरीजों पर किया गया है। यह वेंटिलेटर मरीज को आवश्यक मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के कंट्रोल ऑपरेशन पर आधारित है। इस में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित भी कर सकती है।
करेंसी नोटों और मोबाइल फोन की सफाई
आईआईटी-बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक पोर्टेबल अल्ट्रावायलेट सैनिटाइजर विकसित किया है जो करेंसी नोट, मोबाइल फोन और अन्य छोटी वस्तुओं से बैक्टीरिया और वायरस को साफ करने में उपयोगी है। इस सैनिटाइजर को स्टेनलेस स्टील के कंटेनरों और एल्यूमीनियम की जाली का उपयोग करके तैयार किया गया है। हालांकि अभी तक टीम ने केवल लैब के अंदर ही इसका सफल परीक्षण किया है।
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स्वदेशी वेंटिलेटर का निर्माण
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) भारत में बने कंपोनेंट्स से एक वेंटिलेटर का निर्माण कर रहा है। आईआईएससी की एक टीम इस इलेक्ट्रो-मैकेनिकल वेंटिलेटर प्रोटोटाइप को बनाने में जुटी है और इस महीने के अंत तक वेंटिलेटर तैयार होने की उम्मीद है। इसका निर्माण यूके मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर किया जा रहा है।
ट्रेन के डिब्बे में आइसोलेशन वार्ड
भारतीय रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है जिसे कोविड-19 के लिए आइसोलेशन यूनिट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। आइसोलेशन केबिन बनाने के लिए बीच वाली सीट को एक तरफ से हटा दिया गया है और मरीज की सीट के सामने वाली तीनों सीटों को भी हटा दिया गया है। हर डिब्बे में एयर कर्टेन की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा रेलवे ने पीपीई भी विकसित किया है। डीआरडीओ ग्वालियर लैब में इसकी जांच की गई है। अब ये कवर भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित किए जाएंगे और रेलवे अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 के मरीजों का इलाज करते समय पहने जाएंगे।
मेडिकल-ग्रेड रिमोट मॉनिटरिंग
‘डोज़ी’ नामक एक स्टार्टअप ने स्मार्ट हेल्थ मॉनिटर बनाया है। यह मॉनिटर घर में फंसे मरीजों के सांस और ह्रदय से जुड़ी गतिविधियों की जांच रिमोट मॉनिटरिंग के तहत कर सकता है। ये डिवाइस महामारी से निपटने में उपयोगी है। खासतौर पर जहां आईसीयू और चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाले कर्मचारियों की कमी है। डोजी के सीईओ मुदित दंडवते के अनुसार प्रति सप्ताह 100,000 उपकरणों की मांग को पूरा किया जा सकता है।
30 रुपये की लागत वाली फेस-शील्ड
नोएडा में रहने वाले कुछ युवाओं ने मिलकर इन्फेक्शन से बचने के लिए कम लागत की फेस-शील्ड बनाई है। यह फेस शील्ड उन्होंने खासतौर पर स्वास्थ्य कर्मचारियों, सफाई कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों और देश के अन्य लोग जो सबसे आगे बढ़कर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं, उनके लिए बनाई है। टीम का नेतृत्व करने वाले और इस फेस शील्ड का डिज़ाइन बनाने वाले सचिन पवार आईआईटी दिल्ली की इनोवेशन सेल से जुड़े हुए हैं। इस फेस शील्ड की कीमत 30 रुपये है और अब तक लगभग 21, 500 फेस शील्ड बांटी जा चुकी है।