जितनी ज्यादा उम्र, निमोनिया होने का खतरा उतना ही ज्यादा

लंग फ़ाउंडेशन ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर क्रिस्टीन जेंकिंस का कहना है कि उम्रदराज व्यक्ति के लिए निमोनिया हमेशा ही गंभीर होता है। बूढ़े लोगों की मौत का ये हमेशा बहुत बड़ा कारण हुआ करता था लेकिन अब निमोनिया के बहुत अच्छी इलाज मौजूद हैं।

Update:2020-03-23 17:10 IST

नील मणि लाल

लखनऊ: किसी व्यक्ति की मौत निमोनिया से हो सकती है या नहीं इसका सबसे बड़ा अनुमान उस व्यक्ति की उम्र से लगाया जा सकता है। लंग फ़ाउंडेशन ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर क्रिस्टीन जेंकिंस का कहना है कि उम्रदराज व्यक्ति के लिए निमोनिया हमेशा ही गंभीर होता है। बूढ़े लोगों की मौत का ये हमेशा बहुत बड़ा कारण हुआ करता था लेकिन अब निमोनिया के बहुत अच्छी इलाज मौजूद हैं।

उम्र बढ्ने के साथ निमोनिया होने का रिस्क बढ़ता है

प्रोफेसर जेंकिंस के अनुसार –‘आप कितने भी स्वस्थ और एक्टिव क्यों न हों, आपकी उम्र बढ्ने के साथ साथ निमोनिया होने का रिस्क बढ़ता जाता है। इसका कारण है कि उम्र के साथ हमारा इम्यून सिस्टम प्राकृतिक रूप से कमजोर होता जाता है। नतीजतन हमारे शरीर के लिए इन्फेक्शन और बीमारियों से लड़ना कठिन होता जाता है।'

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उम्र बढ्ने के साथ साथ निमोनिया से बचे रहने के लिए स्वस्थ रहने के अलावा गंभीर सावधानियाँ बरतना बेहद जरूरी हो जाता है। फेफड़े में इन्फेक्शन होने पर शरीर का पहला रिएक्शन वाइरस को नाश्ता करने और उसे बढ्ने से रोकने का होता है।

कोविड-19 का निमोनिया समूचे फेफड़े को प्रभावित करता है

लेकिन जो लोग हृदय और फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं, जिनको डाइबिटीज़ है या जो वृद्ध हैं उनमें शरीर की प्राथमिक प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर हो जाती है। अधिकांश तरह के निमोनिया बैक्टीरिया से होते हैं और एंटीबायोटिक का उनपर असर होता है। आम निमोनिया फेफड़े के कुछ ही हिस्से पर असर डालता है लेकिन कोविड-19 का निमोनिया समूचे फेफड़े को प्रभावित करता है।

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• आमतौर पर 65 वर्ष से ज्यादा के उम्र वाले लोगों को निमोनिया होने का खतरा होता है।

• डाइबिटीज़, कैंसर से पीड़ित लोग या फेफड़े, हृदय, किडनी, लिवर की क्रोनिक बीमारी से ग्रसित लोग ज्यादा जोखिम में होते हैं।

• सिगरेट-बीड़ी पीने वाले लोगों भी जोखिम में होते हैं।

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