Refusing Sex in Marriage: पति या पत्नी जब लंबे समय तक करें शारीरिक संबंध से इनकार, कोर्ट क्या करेगा जानें यहां

Refusing Sex in Marriage: इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसला में कहा गया है कि लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग की जा सकती है।

Update:2024-11-10 08:27 IST

Refusing Sex in Marriage (Pic: Social Media)

Refusing Sex in Marriage: लंबे समय तक सेक्स से इनकार बन सकता है तलाक का आधार। इस विषय पर अब तक कई उच्च न्यायालयों के निर्णय आ चुके हैं। जिनमें उड़ीसा हाईकोर्ट, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, कर्नाटक हाईकोर्ट और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट 2023 में भी एक फैसले में कह चुका है कि पर्याप्त कारण के बिना जीवनसाथी को यौन संबंध बनाने से मना करना मानसिक क्रूरता है।

सेक्स से इनकार करना मानसिक क्रूरता

हालांकि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, क्रूरता को तलाक के आधार के रूप में मान्यता दी गई है। हालाँकि, जीवनसाथी द्वारा सेक्स से इनकार करना क्रूरता है या नहीं, यह किसी विशेष मामले में प्रस्तुत विशिष्ट परिस्थितियों और सबूतों पर निर्भर करता है। अगर कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय के देखें तो उसका मानना है कि पति द्वारा शारीरिक संबंध से इनकार करना हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) 1955 के तहत क्रूरता है, लेकिन यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत अपराध नहीं है।

पूर्व में दिये गए एक फैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक पारिवारिक अदालत द्वारा तलाक की याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पर्याप्त कारण के बिना जीवनसाथी को लंबे समय तक सेक्स से इनकार करना मानसिक क्रूरता के समान है।

उड़ीसा हाईकोर्ट ने दी है तलाक की डिक्री

उड़ीसा हाईकोर्ट के जस्टिस अरिंदम सिन्हा और सिबो शंकर मिश्रा की पीठ ने एक फैसला सुनाते हुए इस बात की जांच करने के महत्व पर जोर दिया था कि क्या पत्नी ने बिना किसी शारीरिक अक्षमता या वैध कारण के एक विस्तारित अवधि के लिए संभोग से इनकार करने का एकतरफा फैसला किया है, क्योंकि अगर ऐसा है तो यह मानसिक क्रूरता हो सकती है। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को विवाह का उद्देश्य संपन्न न करने और पत्नी द्वारा शारीरिक अंतरंगता से इनकार करने को मानसिक क्रूरता बताते हुए तलाक की डिक्री दी थी।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना तलाक का आधार

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का भी मानना है कि पत्नी द्वारा शादी से इंकार करना क्रूरता के समान होगा, और यह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (i-a) के तहत तलाक का आधार बनेगा। न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति विनय की खंडपीठ ने कहा यह भी कहा था कि वैवाहिक मामलों में मानसिक क्रूरता का निर्धारण करने के लिए कभी भी कोई स्ट्रेट जैकेट फॉर्मूला या निश्चित पैरामीटर नहीं हो सकते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

अब एक बार फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आया है जिसमें कहा गया है कि लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग की जा सकती है लेकिन पक्षकार किस प्रकार की शारीरिक अंतरंगता बनाए रख सकते हैं यह मुद्दा न्यायायिक निर्धारण का नहीं है। अदालत ने कहा है कि निजी संबंध की सटीक प्रकृति के बारे में कोई नियम बनाना अदालत का काम नहीं है। 

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