बवाल बनी अलका राय की चिट्ठी, पंजाब में मच गया सियासी घमासान

विधायक के लेटर पैड पर प्रियंका को संबोधित करते हुए साफ तौर पर कांग्रेसी नेतृत्व और पंजाब की कैप्टन सरकार को संबोधित करते हुए अल्‍का ने लिखा है-

Update:2020-11-03 12:35 IST
बवाल बनी अलका राय की चिट्ठी, पंजाब में मच गया सियासी घमासान (Photo by social media)

दुर्गेश पार्थसारथी

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश के मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र की विधायक कालका राय ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को खत क्या लिखा पंजाब में सियासी घमासान तेज हो गया है। पूर्व भाजपा विधायक स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी और भाजपा विधायक अलका राय ने मऊ के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा गांधी को संबोधित करते हुए लिखा है- 'मैं एक विधवा हूं और विगत 14 वर्षों से मैं अपने पति और लोकप्रिय विधायक रहे स्वर्गीय कृष्णानंद राय की हत्या के विरुद्ध इंसाफ की लड़ाई लड़ रही हूं, उस जुल्म के खिलाफ जिसे आज आपकी पार्टी और पंजाब में आप की सरकार संरक्षण दे रही है। उत्तर प्रदेश की तमाम अदालतों में मुख्तार अंसारी को तलब किया जा रहा है परंतु पंजाब सरकार उसे उत्तर प्रदेश भेजने को तैयार नहीं है '' ।

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विधायक के लेटर पैड पर प्रियंका को संबोधित करते हुए साफ तौर पर कांग्रेसी नेतृत्व और पंजाब की कैप्टन सरकार को संबोधित करते हुए अल्‍का ने लिखा है- ' जब यूपी पुलिस की गाड़ियां मुख्तार को लेने गईं तब पंजाब सरकार ने उसे बचाने के लिए तीन माह का बेड रेस्ट दे दिया। विधायक अलका राय ने प्रियंका और राहुल गांधी से सवाल किया है कि आप दोनों इस मामले में खामोश क्यों हैं।

प्रियंका के बचाव में उतरे पंजाब के जेल मंत्री

भाजपा विधायक अलका राय का पत्र सोशल मीडिया और अखबारों की सुर्खियां बनते हुए जब पंजाब पहुंचा तो राज्‍य सरकार के जेल मंत्री पंजाब सरकार के जेल मंत्री जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा प्रियंका गांधी और प्रदेश सरकार के बचाव में आए। उन्होंने कहा कि अलका राय के आरोप निराधार हैं। जेल मंत्री ने कहा कि सरकार क्यों किसी को बचाएगी। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह ने कहा कि मुख्तार अंसारी को कोर्ट के आदेश पर जेल में रखा गया है और कोर्ट के आदेश पर ही किसी को छोड़ा जा सकता है। जेल विभाग केवल कस्टोडियन है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार किसी अपराधी को संरक्षण नहीं देती।

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कैप्‍टन सरकार पर हमलावर हुए भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष

उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कैप्टन सरकार पर हमलावर होते हुए विधायक व गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की अदालतों से भागने के लिए जिम्मेदार ठहराया। प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा कि आखिर कौन सी ऐसी मजबूरी है कि पंजाब सरकार इस दुर्दांत अपराधी को बचाने की कोशिश कर रही है। अश्विनी शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अदालतों ने मुख्तार अंसारी को तलब किया था, लेकिन पंजाब सरकार उन्हें उत्तर प्रदेश भेजने को तैयार नहीं है।

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मामला सरकार का है, सरकार ही जाने

बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष जसवीर सिंह लड़ी ने कहा कि पंजाब में वाकई कानून व्‍यवस्‍था नाम की कोई चीज नहीं है। रही बात मुख्‍तार अंसारी की यह मामला प्रदेश सरकार और जेल प्रशासन का है। इसमें मैं कुछ नहीं कह सकता।

इस मामले में किया गया था तलब

शस्त्र लाइसेंस के मामले में ज्यूडिशियल रिमाण्ड के लिए बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की वीडियो कांफ्रेसिंग से पंजाब के मोहाली जेल से दो नवम्वर को सीजेएम कोर्ट में पेशी होगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद शर्मा ने जेल अधीक्षक मोहाली व विवेचक के आवेदन पर उक्त आदेश पारित किया।

बताते चलें कि मुख्तार अंसारी पंजाब के सास नगर मोहाली की जेल में एक अन्य मामले में बंद है। मुख्तार के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश के मऊ जिले के दक्षिण टोला थाने में आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में केस दर्ज है। इसी मामले में ज्यूडिशियल रिमांड के लिए विवेचक के आवेदन पर न्यायालय ने 21 सितंबर को वारंट बी जारी किया था। मुख्तार अंसारी की पेशी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद शर्मा की अदालत में 21 अक्तूबर को होनी थी। लेकिन वहां के जेल प्रशासन ने स्वास्थ का हवाला देते हुए विडियो कांफ्रेसिंग से रिमाण्ड बनाने की अपील की। मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता दारोगा सिंह ने सीजेएम न्यायालय में आवेदन दिया है कि मुख्तार अंसारी अस्वस्थ है। जो पंजाब के मोहाली जेल से यहां तक की यात्रा करने में असमर्थ है। इसलिए विडियो कान्फ्रेसिंग से ही ज्यूडिशियल रिमाण्ड बनाया जाए।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस मामले के विवेचक को 23 अक्तूबर को केस डायरी के साथ तलब किया था। विवेचक ने अदालत से आवेदन कर ज्यूडिशियल रिमाण्ड के लिए मोहाली जेल से मुख्तार अंसारी को अदालत में तलब करने की अपील की थी।

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पंजाब के मोहाली जेल में बंद हैं मुख्‍तार

मोहाली के एक प्रॉपर्टी डीलर से दस लाख की रंगदारी मांगने के मामले में यूपी के बांदा जेल से मुख्‍तार अंसारी को करीब दो साल पहले मोहाली की अदालत में पेश किया गया था। इसके बाद अंसारी पहले जिला जेल रोपड़ फिर मोहाली की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। तब से मुख्‍तार अंसारी मोहाली की जेल में बंद है।

उल्‍लेखनीय है कि पंजाब के मोहाली जेल में बंद बसपा विधायक ने (तब उत्‍तर प्रदेश के बांदा जलस से ) मोहाली के सेक्टर 70 में रहने वाले एक बिल्डर फोन पर खुद को मुख्तार अंसारी बताते हुए उससे दस लाख रुपये की मांग की थी।

मुख्‍तार पर पहले से दर्ज हैं 45 से अधिक मामले

उस समय मोहाली के तत्‍कालीन एसएसपी कुलदीप सिंह चहल ने कहा था कि, ‘हम इस मामले के साथ ही मुख्‍तार अंसारी के खिलाफ आर्म्स ऐक्ट के पुराने मामले पर भी गौर कर रहे हैं।’ इसकी जांच की जा रही । इन मामलों का क्‍या हुआ यह तो पता नहीं, लेकिन पुलिस सूत्रों के अनुसार मुख्‍तार पर पहले से भी 45 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और राम सिंह मौर्य की हत्या का मामला भी शामिल है।

इस लिए विधायक अल्‍का राय ने लिखा था पत्र

उत्‍तर प्रदेश के गाजीपुर के मोहम्‍मदाबाद विधानसभा क्षेत्र की विधायक अल्‍का राय के पति व पूर्व भाजपा विधायक कृष्‍णानंद राय की जिले के गोडउर गांव में 25 नवंबर 2005 की शाम गोली मार कर हत्‍या कर दी गई थी। हत्‍या का आरोप माफिया मुख्‍तार अंसार और उसके गैंग पर लगा। आरोप था कि हमले के दौरान 500 से ज्यादा गोलियां चलीं थीं। इस हत्‍या कांड में कृष्णानंद राय और उनके गनर सहित सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम के दौरान सात शवों से 67 गोलियां निकाली गई थीं।

'बहुत तंग कर रखा है मारो इसे'

कृष्णानंद राय के भाई रामनारायण राय ने कोर्ट में बयान दिया था कि टूर्नमेंट का उद्घाटन करने के बाद राय शाम करीब चार बजे अपने गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना राय, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह के साथ कनुवान गांव की ओर जा रहे थे। राम नारायण राय के मुताबिक वह खुद दूसरे लोगों के साथ एमएलए की गाड़ी से पीछे चल रही गाड़ी में सवार थे। बसनियां चट्टी गांव से डेढ़ किलोमीटर आगे जाने पर सिल्वर ग्रे कलर की एसयूवी सामने से आई। उसमें से निकले सात-आठ लोगों ने एके-47 से गोलियों की बौछार कर विधायक समेत सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

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पोस्टमॉर्टम में निकलीं 67 गोलियां

राम नारायण राय ने कोर्ट में बताया था कि फायरिंग के दौरान हमलावर बोल रहे थे कि, 'मारो इसे, अफजाल भाई और मुख्तार भाई को बहुत तंग कर रखा है।'

सटीक मुखबिरी के चलते गई जान। गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर क्षाना क्षेत्र के गोडउर निवासी बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय मुख्तार गैंग के हमले की आशंका के चलते काफी समय से बुलेटप्रूफ गाड़ी से चलते रहे। वारदात के दिन वह पास के सियारी गांव में एक क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्‌घाटन करने जाते समय बुलेटप्रूफ गाड़ी घर पर ही छोड़ गए थे। बुलेटप्रूफ गाड़ी का प्रयोग न किए जाने की जानकारी मुखबिर के जरिए हमलवारों तक पहुंची तो घटना को अंजाम देने का मौका मिल गया। वापस घर लौटते समय कृष्णानंद पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। इस मामले में मुन्‍ना बजरंगी को भी आरोपी बनाया था, जिसकी अब हत्‍या हो चुकी है।

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कृष्णानंद राय हत्याकांड में कब क्या हुआ?

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29 नवंबर 2005- गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों को गोलियों से भून दिया गया। कृष्णानंद राय पर 500 राउंड फायरिंग हुई थी। इस हमले में एके-47 का इस्तेमाल हुआ।

21 फरवरी 2006- बीजेपी विधायक हत्याकांड में यूपी पुलिस की तरफ से पहली चार्जशीट फाइल हुई। इसमें एजाजुल हक, अफजाल अंसारी, प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी, अताउररहमान और फिरदौस का नाम शामिल।

15 मार्च 2006- यूपी पुलिस ने इस मामले में दूसरी चार्जशीट दाखिल की। इसमें मुख्तार अंसारी को भी आरोपी बनाया गया।

मई 2006- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीजेपी विधायक हत्याकांड की सीबीआई जांच का आदेश दिया। कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर फैसला।

30 अगस्त 2006- सीबीआई ने हत्याकांड में तीसरी चार्जशीट फाइल की, इसमें संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा को भी आरोपी बनाया।

12 दिसंबर 2006- सीबीआई ने चौथी चार्जशीट फाइल करते हुए राकेश पाण्डेय व रामू मल्लाह को भी आरोपी बनाया।

20 मई 2007- सीबीआई ने पांचवीं चार्जशीट दाखिल करते हुए बाहबुली विधायक मुख्तार अंसारी को भी आरोपी बनाया गया।

22 अप्रैल 2013-सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णानंद हत्याकांड की गाजीपुर जिला अदालत में चल रही सुनवाई को सेशंस कोर्ट दिल्ली में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया।

15 मार्च 2014- सीबीआई ने कृष्णानंद हत्याकांड में छठीं चार्जशीट प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी के खिलाफ दाखिल की।

22 मई 2019- सीबीआई कोर्ट ने इस हत्याकांड में फैसले को सुरक्षित रखा।

3 जुलाई 2019-गवाहों के मुकरने के बाद सीबीआई अदालत ने मुख्तार अंसारी सहित सात लोगों को इस हत्याकांड के आरोप से मुक्त कर दिया।

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