Presidential Election 2022: पीएम मोदी ने की थी नवीन पटनायक से चर्चा, फिर फाइनल हुआ द्रौपदी मुर्मू का नाम

Presidential Election 2022: पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में द्रोपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगाई गई ।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-06-22 05:43 GMT

पीएम मोदी -नवीन पटनायक-द्रौपदी मुर्मू (फोटो : सोशल मीडिया )

Presidential Election 2022: देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव (Presidential Election 2022)  के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। झारखंड के पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया गया है जबकि विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को अपना उम्मीदवार बनाया है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu Presidential candidate) के नाम पर मुहर लगाई गई जबकि एनसीपी मुखिया शरद पवार के घर हुई विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने का फैसला हुआ।

दोनों पक्षों की ओर से उम्मीदवारों के नाम के ऐलान के बाद देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए सियासी जंग की बिसात बिछ चुकी है।

राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी के साथ ही एनडीए को बीजू जनता दल का समर्थन मिलना तय हो गया है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी पर खुशी जताते अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया है। जानकारों का कहना है कि मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बाबत नवीन पटनायक से चर्चा की थी। पटनायक ने भी इस बाबत अपने ट्वीट में इस बात की पुष्टि की है। इससे साफ हो गया है कि भाजपा ने काफी सोच समझकर बड़ा सियासी दांव खेला है।

भाजपा की समीकरण साधने की कोशिश

ओडिशा के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने बड़ा सियासी दांव खेला है। महिलाओं को भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता रहा है और द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी से भाजपा ने महिला सशक्तिकरण का बड़ा संदेश दिया है। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने रामनाथ कोविंद को चुनाव मैदान में उतारकर दलित समीकरण साधने की कोशिश की थी और इस बार द्रौपदी मुर्मू के जरिए आदिवासी समुदाय को साधने का प्रयास किया गया है।

द्रौपदी मुर्मू का नाम 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी काफी चर्चा में था। हालांकि बाद में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने रामनाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगाई थी। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरुआत से ही द्रौपदी मुर्मू के नाम को लेकर गंभीर थे। हालांकि मीडिया में कई और नामों की चर्चा थी मगर आखिरकार भाजपा नेतृत्व ने मुर्मू के नाम पर ही मुहर लगाई।

नवीन पटनायक से चर्चा के बाद हुआ फैसला

द्रौपदी मुर्मू के नाम पर फैसला लेने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बाबत उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बातचीत भी की थी। भाजपा को राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की दरकार है। इस कारण भाजपा ने पहले ही नवीन पटनायक को विश्वास में लेने की कोशिश की। मुर्मू की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद नवीन पटनायक ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए इसे उड़ीसा के लिए गौरवशाली क्षण बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुर्मू महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनेगी।

इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में इस बात की भी जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस संबंध में उनके साथ विचार विमर्श किया था। पटनायक के इस बयान से साफ हो गया है कि भाजपा ने पटनायक को साधने के बाद ही मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान किया है।

इस कारण मुर्मू की दावेदारी मजबूत

राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के लिए 5,39,420 मतों की जरूरत है जबकि एनडीए के पास 5,26,420 मत ही हैं। बीजू जनता दल के पास करीब 31,000 मत हैं जबकि वाईएसआर कांग्रेस के पास 43,000 मत हैं।

इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिलना तय माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का 6,00,420 मत पक्का हो गया है। इस कारण राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा के खिलाफ द्रौपदी मुर्मू की जीत तय मानी जा रही है।

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