आ रही आपकी रेलवेः 2023 से आम हो जाएगी प्राइवेट ट्रेनों की सेवाएं
भारत में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए कवायद तेज हो गई है। भारतीय रेलवे द्वारा की गयी दूसरी प्री-अप्लीकेशन कॉन्फ्रेंस में 23 कंपनियों ने हिस्सा लिया।
नई दिल्ली: भारत में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए कवायद तेज हो गई है। भारतीय रेलवे द्वारा की गयी दूसरी प्री-अप्लीकेशन कॉन्फ्रेंस में 23 कंपनियों ने हिस्सा लिया। देश के 12 कलस्टरों में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने को लेकर हुई इस बैठक में बीईएमएल, आईआरसीटीसी, भेल, सीएएफ, मेधा ग्रुप, स्टरलाइट, भारत फोर्ज, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर और तीतागढ़ वैगन्स लिमिटेड भी शामिल हुईं। इससे पहले 21 जुलाई 2020 को प्री-अप्लीकेशन कॉन्फ्रेंस हुई थी। प्राइवेट ट्रेनों को पटरी पर दौड़ाने के कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट करना होगा।
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कितनी ट्रेनें और कितने रूट
भारतीय रेलवे ने 151 आधुनिक रेलगाड़ियों के माध्यम से 109 मार्गों पर यात्री सेवा के परिचालन में प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए अनुरोध आमंत्रित किए हैं। ये नई ट्रेनें नेटवर्क पर पहले से चल रही ट्रेनों के अतिरिक्त होंगी।रेलवे नेटवर्क पर यात्री रेलगाड़ियां चलाने के लिए निजी निवेश की यह पहली पहल है। इस परियोजना से लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश प्राप्त होने का अनुमान है।
प्राइवेट ट्रेन के परिचालन के लिए आए आवेदकों ने रेलवे के सामने अपने कई मुद्दे उठाए। मसलन, क्लस्टर्स में फ्लेक्सिबिलिटी, पात्रता मानदंड, बोली प्रक्रिया, ट्रेनों की खरीद, ट्रेनों का किराया, संचालन और रखरखाव सहित कई मुद्दे। हालांकि, रेल मंत्रालय ने इस बात पर जोर देते हुए जवाब दिया कि निजी खरीददारों को गाड़ियों की खरीद के मामले में पूरी आजादी दी जाएगी - या तो ट्रेनें खरीदी जा सकती हैं या लीज पर ली जा सकती हैं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राइवेट ट्रेन संचालकों को अपने यात्रियों से वसूला जाने वाला किराया तय करने की स्वतंत्रता होगी।
कब से शुरू होंगी प्राइवेट ट्रेनें
सरकार का कहना है कि देश में प्राइवेट ट्रेनें मार्च 2023 से चलेंगी। इसके लिए टेंडर मार्च 2021 तक फाइनल कर लिए जाएंगे। ज्यादातर प्राइवेट ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाई जाएंगी।
जिन कंपनियों ने प्राइवेट ट्रेन चलने में रुचि दिखाई है उनमें अल्सटॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया लिमिटेड, बीईएमएल, भारत फॉर्ग, भेल, बॉमबार्डियर ट्रांसपोर्ट इंजिया, सीएएफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गेटवे रेल, जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हिन्द रेक्टिफायर लिमिटेड, आई-बॉन्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, आईआरसीटीसी लिमिटेड, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जसन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, एलएंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, मेधा, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लिमिटेड, पीएसजीजी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, आरके एसोसिएट्स एंड होटलियर्स प्राइवेट लिमिटेड, सीमेंस लिमिटेड, स्टरलाइट पावर और टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड शामिल हैं।
क्या-क्या होगा प्राइवेट ट्रेनों में
सरकार ने कहा है कि प्राइवेट ट्रेनों में इलेक्ट्रॉनिक स्लाइडिंग दरवाजे, सुरक्षा कांच के साथ खिड़कियां, आपातकालीन टॉक-बैक सिस्टम,, यात्री निगरानी प्रणाली और सूचना व गंतव्य बोर्ड होने चाहिए। इसके अलावा ये रेलगाड़ियां यात्रियों को शोर-मुक्त यात्रा प्रदान करेंगी और 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम होंगी। ट्रेन को ऐसे डिजाइन किया जाएगा ताकि वे परीक्षण के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से सुरक्षित रूप से संचालित हो सकें। प्रत्येक ट्रेन में कम से कम 16 डिब्बे होंगे। इन ट्रेनों में दोनों सिरों पर ड्राइविंग कैब होंगे और इनकी बनावट दोनों ओर से एक जैसी ही होगी जिससे किसी भी स्थिति में दोनों तरफ से यानी दोनों दिशाओं में ट्रेन को चलाने में दिक्कत न हो। इनकी बनावट ऐसी हो कि इन्हें कम से कम 35 साल तक चलाया जा सके।
1,250 मीटर में खड़ी हो जाएगी चलती ट्रेन
निजी कंपनियों को ट्रेनों को इस तरीके से तैयार करना होगा कि वो 140 सेकंड में 0 किमी प्रति घंटे से 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तर तक पहुंचने में सक्षम हों, ट्रेनों की औसत रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा रहे। इसके अलावा ट्रेनों का डिजाइन इस तरह होना चाहिए कि इमरजेंसी में ब्रेक लगाने पर यात्रा के दौरान 160 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही ट्रेन 1,250 मीटर से कम की दूरी में रुक जाए।
सेफ्टी का ध्यान
हर डिब्बे में बिजली से चलने वाले स्लाइडिंग दरवाजे कम से कम 4 होने चाहिए। इन दरवाजों के पूर्ण रूप से बंद होनें के बाद ही ट्रेन आगे बढ़ेगी। साथ ही इसमें इमरजेंसी के वक्त दरवाजे को मैन्युअली खोलने की सुविधा भी होगी। कोच में जीरो डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम होगा।
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सर्विलांस कैमरे
इन ट्रेनों में सीसीटीवी नेटवर्क, सर्विलांस कैमरे, वाइस रिकॉर्डिग जैसी सुविधाओं की बात भी कही गई है। प्राइवेट ट्रेनों के लिए रेलवे ने इन सभी विशेषताओं को निजी ऑपरेटरों से रेलवे सिस्टम में शामिल करने की मांग की है।
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