दुर्गेश मिश्र
चंडीगढ़: साल 2016 में आई हिन्दी फिल्म 'उड़ता पंजाब' ने सूबे फैले नशे के कारोबार व इसकी गिरफ्त में आए पंजाब के युवाओं की भयावह तस्वीर को बड़ी खूबसूरती के साथ रूपहले पर्दे पर पेश किया था। इसमें यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि खाकी वर्दी की शह पाकर नशा तस्कर किस तरह से राज्य की युवा पीढ़ी को खोखला कर रहे हैं।
इस फिल्म में पंजाब पुलिस की भूमिका को भी नशे के सौदागरों से जोडक़र दिखाया गया था, लेकिन फिल्म की कहानी लिखते समय लेखक सुदीप शर्मा व अभिषेक ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि यह काल्पनिक कहानी एक दिन सच साबित होगी।
उड़ता पंजाब जिस समय सिनेमा घरों में लगी उस समय पंजाब में काफी हंगामा हुआ था। यहां तक कि तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि फिल्म में पंजाब की गलत तस्वीर पेश की गई है। वहीं कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने इसे नशा तस्करी का सच्चा आइना मानते हुए इसे अकाली सरकार के खिलाफ राजनीतिक हथियार बना लिया था, क्योंकि कुछ माह बाद ही पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने वाले थे।
कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने नशे के मुद्दे को इस कदर उठाया कि दस सालों से पंजाब पर पर राज कर रही अकाली-भाजपा सरकार को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। अब सवाल लाजमी है कि जब उड़ता पंजाब को सिनेमाघरों से उतरे लगभग आठ माह से भी अधिक का समय बीत गया है तो इसका जिक्र करने का क्या मतलब। जनाब मतलब तो है क्योंकि एक बार फिर पंजाब पुलिस की वर्दी दागदार व पुलिस प्रशासन शर्मसार हुआ है।
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एसटीएफ ने सिंह को 12 जून को ड्रग तस्करी के आरोप में एके-47 सहित जालंधर में गिरफ्तार कर नशा तस्करी के बड़े मामले का खुलासा किया। इंस्पेक्टर का साथ देने वाले एएसआई अजायब सिंह को भी गिरफ्तार कर मोहाली स्थित एसटीएफ थाने में केस दर्ज किया गया है। एसटीएफ का कहना है कि इंस्पेक्टर के साथ पकड़ा गया एएसआई अजायब सिंह दरअसल हवालदार है जिसे सभी नियमों को ताक पर रख एएसआई बनाया गया है।
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इंदरजीत की असलियत उजागर होने पर एसटीएफ की टीम ने इंस्पेक्टर के घर दबिश दी और उसे हथियार व भारी मात्रा में मादक पदार्थों के साथ गिरफ्तार कर लिया। मूलत: गुरदासपुर जिले के बटाला का रहने वाला इंदरजीत 1986 में बतौर सिपाही पुलिस में भर्ती हुआ। उस दौर में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था। उस दौर में इंदरजीत ने अच्छा काम किया जिसकी बदौलत वह इंस्पेक्टर की कुर्सी तक पहुंचा, लेकिन ऐशोआराम भरी जिंदगी व रुपये कमाने की ललक ने उसे तस्कर बना दिया।
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इसके लिए साथ ही वह तस्करों से सांठगांठ कर उनका केस कमजोर करने के एवज में मोटी रकम लेकर एफआईआर दर्ज करते समय जानबूझ कर कुछ ऐसी खामियां छोड़ देता था जिससे कुछ साल केस चलने के बाद तस्कर बरी हो जाते थे। बाद में इन्हीं तस्करों का अपने पास रखा ड्रग व हथियार बेचकर मोटा माल कमाता था।
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कोठी सील, हथियारों का जखीरा बरामद : तस्करों से साठगांठ कर इंदरजीत ने अमृतसर, चंडीगढ़ व दिल्ली में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति बना रखी है। बताया जा रहा है कि अमृतसर में ही उसकी तीन कोठियां है, जिसमें एक में वह खुद रहता है। इंदरजीत की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने उसकी कोठी सील कर दी है।
इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद के एसटीएफ की तलाशी में उसके घर से 9 एमएम की इटली मेड पिस्टल, एक एके 47, एक 32 बोर की रिवाल्वर, 16 लाख 50 हजार नगद, 3550 पौंड, इनोवा कार व कारतूस बरामद हुए। इसके अलावा कपूरथला जिले के फगवाड़ा स्थित उसकी दूसरी कोठी से तीन किलो स्मैक व चार किलो हेरोइन भी बरामद हुई। एसटीएफ ने भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज व अन्य सामान भी बरामद किया है।
बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर के संबंध सूदखोरों से भी थे। एसटीएफ के एआईजी रक्षपाल सिंह ने कहा कि यह मामला बहुत संगीन है। टीम इसकी गहनता से जांच कर रही है। जरूरत पड़ी तो पिछले दो सालों के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों व इंदरजीत के साथ तैनात रहे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
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पहले भी दागदार हुई है वर्दी: अब हम मौजूदा समय से कुछ साल पीछे चलते है। 2013 में करोड़ों की ड्रग तस्करी में पकड़े गए अर्जुन पुस्कार से सम्मानित डीएसपी जगदीश भोला ने पंजाब पुलिस की वर्दी को दागदार किया। उस समय ईडी की पूछताछ में उसने तत्कालीन राजस्व मंत्री व केंद्रीय मंत्री हरसीमरत कौर के भाई बिक्रमजीत सिंह मजीठिया का नाम लिया था। भोला की जुबान पर मजीठिया का नाम आते ही पंजाब की सियासत में जबर्दस्त भूचाल आ गया था। परिर्वतन निदेशालय की टीम ने मजीठिया से भी कई घंटे तक पूछताछ की थी। जगदीश अब जेल में हैं और केस अदालत में विचाराधीन।
डीएसपी सलविंदर सिंह का मामला भी कम रोचक नहीं है। 2016 की शुरुआत में ही पठानकोट के एयरबेस हुए हुए आतंकी हमले के बाद चर्चा में आए डीएसपी सलविंदर की भूमिका भी हमेशा संदेह के घेरे में रही। पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले से एक दिन पहले डीएसपी को अगवा कर उन्हीं की गाड़ी से आतंकी एयरबेस तक पहुंचे थे और बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। नशा तस्करों से संबंध रखने के अलावा गैर महिलाओं से संबंधों को सलविंदर पर उंगली उठी थी। हालांकि लंबी जांच व लाइव डिटेक्टर से गुजरने के बाद एनआईए सहित अन्य एजेंसियों ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी।