Rajasthan Politics: राजस्थान में पायलट का भारी विरोध, गहलोत समर्थक विधायकों का इस्तीफा, कांग्रेस विधायक दल की बैठक रद्द

Rajasthan Politics Update: राजस्थान कांग्रेस में सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे सचिन पायलट के खिलाफ अशोक गहलोत गुट से जुड़े हुए विधायक खुलकर सामने आ गए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-09-25 23:24 IST

Ashok Gehlot and Sachin Pilot (image social media)

Rajasthan Politics Update: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के बीच राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए घमासान छिड़ गया है। राजस्थान में सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे सचिन पायलट के खिलाफ गहलोत गुट से जुड़े हुए विधायक खुलकर सामने आ गए हैं। गहलोत के करीबी माने जाने वाले मंत्री शांति धारीवाल के घर हुई बैठक में जुटे गहलोत खेमे के 82 से अधिक विधायकों ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। 

इन विधायकों ने विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी को इस्तीफा सौंप दिया है। विधायकों का यह तेवर देखने के बाद शाम सात बजे बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक रद्द कर दी गई है। सूत्रों का कहना है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों की ओर से सीपी जोशी को नया मुख्यमंत्री बनाने की मांग की गई है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 92 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। जानकार सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में इस बड़े सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गहलोत, सचिन पायलट और दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे व अजय माकन को दिल्ली तलब कर लिया है।

गहलोत गुट से जुड़े हुए विधायकों को सचिन पायलट का किसी भी सूरत में नाम मंजूर नहीं है। गहलोत गुट से जुड़े हुए मंत्रियों और विधायकों ने सचिन पायलट पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत का समर्थन करने वाले सहयोगी दलों के साथ निर्दलीय विधायक भी इस मुहिम में कूद पड़े हैं। विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंच गए थे मगर नए सियासी घटनाक्रम के मद्देनजर उन्होंने बैठक न करने का फैसला किया।

विधायकों की अनदेखी का बड़ा आरोप 

इस बीच गहलोत समर्थक वरिष्ठ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि हमारे पास 92 विधायकों का समर्थन है और हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से किसी चेहरे को मुख्यमंत्री न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि नए सीएम का चयन करने में विधायकों की अनदेखी की जा रही है जिसे लेकर विधायकों में भारी नाराजगी है। 

उन्होंने कहा कि 10-15 विधायकों की सुनवाई हो रही है। गहलोत समर्थक अन्य विधायकों की उपेक्षा की जा रही है। विधायकों के तेवर को देखते हुए पायलट की दावेदारी को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस हाईकमान भी पायलट के पक्ष में बताया जा रहा है मगर आज के सियासी घटनाक्रम से साफ हो गया है कि हाईकमान के लिए राजस्थान में नेतृत्व का फैसला करना काफी मुश्किल काम होगा। 

वेणुगोपाल को गहलोत का खरा जवाब

कांग्रेस विधायकों के बागी तेवर के बाद जयपुर से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने तत्काल इस बाबत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत की और राजस्थान कांग्रेस में काबू से बाहर होती स्थिति को संभालने में मदद मांगी। जानकार सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने भी अब इस मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि अब उनके बस में कुछ भी नहीं है। 

सोनिया का संकट सुलझाने का निर्देश 

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे के पास संदेश भेजा है कि राजस्थान के संकट का समाधान आज ही होना चाहिए भले ही इसके लिए सारी रात बैठना पड़े। कांग्रेस नेतृत्व की ओर से खड़े थे और अजय माकन को निर्देश दिया गया है कि वे राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के संबंध में एक-एक विधायक से चर्चा करें।

नेतृत्व की ओर से संदेश मिलने के बाद कांग्रेस के दोनों पर्यवेक्षक देर रात मुख्यमंत्री आवास पहुंचे गए। जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेता रघु शर्मा और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी देर रात सीएम आवास पहुंचे। गहलोत के कई समर्थक विधायक भी देर रात उनके आवास पर पहुंचे। सूत्रों का कहना है कि हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली तलब कर लिया गया है।

सरकार गिरने का भी खतरा ज्यादा

गहलोत गुट से जुड़े हुए विधायक खुलकर सचिन पायलट के खिलाफ सामने आ गए हैं। गहलोत का समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा है कि गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों की इच्छा का ख्याल रखा जाना चाहिए। यदि विधायकों की इच्छा को नजरअंदाज करके मुख्यमंत्री का फैसला करने की कोशिश की गई तो राजस्थान में सरकार गिरने का खतरा पैदा हो सकता है। लोड़ा के बयान के बाद मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि लौड़ा एक सुलझे हुए व्यक्ति हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह काफी सोच समझकर कहा है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि अशोक गहलोत को भी मुख्यमंत्री के रूप में कायम रखा जाना चाहिए। 

पायलट पर इशारों में साधा निशाना

गहलोत के करीबी माने जाने वाले प्रदेश के राज्य मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने भी सचिन पायलट का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दो साल पहले राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिराने की साजिश रची थी उन्हें राज्य में कांग्रेस की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस हाईकमान को यह फैसला लेने से पहले एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए।

इससे सरकार और पार्टी दोनों कमजोर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का फैसला करते समय सहयोगी दलों के विधायकों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। गहलोत सरकार को बचाने के लिए विधायकों ने दो महीने घर परिवार छोड़कर होटलों में रात गुजारी थी। इसलिए अगर लो उसके बाद नेतृत्व का फैसला करने में सहयोगी दलों के विधायकों से भी चर्चा किया जाना जरूरी है।

भाजपा ने तोड़फोड़ की तो क्या होगा

गहलोत के करीबी माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि अभी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गहलोत किसी क्लास के मॉनिटर नहीं है जो उन्हें हटाकर किसी और को कमान सौंप दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने तोड़फोड़ की राजनीति शुरू कर दी तो उसका अंजाम क्या होगा?

उन्होंने कहा कि राजस्थान में अगले साल कांग्रेस को बड़ी सियासी जंग लड़नी है और इस जंग तक गहलोत को ही राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के कांग्रेस विधायकों ने अशोक गहलोत को ही अपना नेता माना है। ऐसे में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की बात समझ से परे है। हालांकि इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि आलाकमान की ओर से लिया गया फैसला हमें मंजूर होगा। 

ऐसे नेता के पक्ष में गहलोत

इस बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने आज भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जैसलमेर में स्थित तनोट माता के मंदिर में दर्शन किए। मंदिर में दर्शन के बाद उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को शानदार बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतरने के इच्छुक लोगों को निसंकोच नामांकन दाखिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगला सीएम ऐसे नेता को बनाया जाना चाहिए जो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट करा सकें। उन्होंने कहा कि वे युवा पीढ़ी को मौका दिए जाने के पक्ष में है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए और कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाना और फिर फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ना कांग्रेस की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की असली ताकत भी यही है। उन्होंने नए मुख्यमंत्री के रूप में किसी नेता का नाम लेने से परहेज किया। सचिन पायलट से अशोक गहलोत के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि गहलोत सचिन पायलट के नाम पर कतई तैयार नहीं होंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व परिवर्तन की स्थिति में उन्होंने विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम आगे बढ़ाया है।

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