लॉकडाउन में इस बैंक ने ग्राहकों के लिए किया बड़ा एलान, अब मिलेगी ये सुविधा

आरबीआई ने नियमों में ढील देते हुए बैंकों में ओवरड्राफ्ट अकाउंट रखने वाले ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी करने की परमिशन दी है। यह सुविधा उन ओवरड्राफ्ट खातों के लिए है जो पर्सनल लोन की तरह हैं।

Update: 2020-04-25 06:02 GMT

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया (आरबीआई) ने घोषणा किया है कि आने वाले समय में बैंकों की ओर से खाताधारकों को इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी किए जाएंगे।

आरबीआई ने नियमों में ढील देते हुए बैंकों में ओवरड्राफ्ट अकाउंट रखने वाले ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी करने की परमिशन दी है। यह सुविधा उन ओवरड्राफ्ट खातों के लिए है जो पर्सनल लोन की तरह हैं।

सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं। ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर यह फैसिलिटी देते हैं। कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के बदले में भी ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी प्रोवाइड कराते हैं।

इस फैसिलिटी के तहत बैंक से आप अपनी जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा बैंक को वापस लौटा सकते हैं।

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क्या है ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी

यदि हम आपको सामान्य भाषा में समझाएं तो कई बार ऐसी जरूरत आ जाती है, जिसे पूरी करने के लिए हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं होता।

हमारे सामने सीमित विकल्प होते हैं। दोस्त-रिश्तेदार से उधार ले सकते हैं, क्रेडिट कार्ड पर पर्सनल लोन ले सकते हैं। पर्सनल लोन में ब्याज की दर काफी ज्यादा होती है।

कई लोग संकोची स्वभाव के होते हैं, जिससे उनके लिए दोस्त या रिश्तेदार से मदद मांगना मुश्किल होता है। इस स्थिति में मदद पाने के लिए बैंक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी ऐसी जरूरतें पूरी करने की सुविधा देता है।

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किन लोगों को मिलेगा लाभ

आरबीआई के अनुसार जुलाई 2015 के दिशानिर्देश के अनुसार बैंकों को बचत बैंक और चालू खाते वाले ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी करने की परमिशन दी गई है।

मालूम हो कि इस सुविधा का लाभ क्रेडिट और लोन अकाउंटहोल्डर्स को नहीं मिलेगा। इसका लाभ सिर्फ बैंक ओवरड्राफ्ट खाते रखने वाले कस्टमर्स को ही मिलेगा।

आरबीआई ने ये भी स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रॉनिक कार्ड ग्राहक को दी गई ओवरड्राफ्ट सुविधा की वैधता से अधिक की अवधि के लिए नहीं जारी किया जाएगा। इसके अलावा ये इलेक्ट्रॉनिक कार्ड सिर्फ देश में लेनदेन के लिए होगा।

आरबीआई ने इस सुविधा को शुरू करने से पहले निदेशक मंडल को एक प्लान योजना बनाने का काम दिया है।

फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि बैंक जल्द से जल्द अपने खाताधारकों को ये खास सुविधा प्रदान करेंगे।

आरबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नकद लेनदेन पर यह प्रतिबंध प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के साथ प्रदान की गई ओवरड्राफ्ट सुविधा पर लागू नहीं होगा।

कैसे मिलेगी ये सुविधा

ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी के लिए प्रोसेस बैंक से दूसरे लोन लेने के जैसा ही है। अगर आपका बैंक में सैलरी, करेंट अकाउंट है तो प्रक्रिया थोड़ी आसान हो जाती है।

अगर बैंक में आपका कोई एफडी नहीं है तो फिर पहले आपको बैंक में कोई एसेट्स गिरवी रखना पड़ता है।

उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बैंक आपको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी दे देते हैं।

आजकल कई बैंक अपने अच्छे ग्राहकों को पहले से ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का ऑफर देते हैं, ऐसा होने पर फिर लोन लेना बहुत आसान हो जाता है। बैंक यह तय करते हैं कि ओवरड्राफ्ट के तहत आप कितना पैसा ले सकते हैं।

यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में गिरवी (कोलैटरल) क्या रखा है। सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं।

उदाहरण के लिए अगर आपने बैंक में 2 लाख रुपये की एफडी की है तो ओवरड्राफ्ट के लिए बैंक 1.60 लाख रुपये (80%) की लिमिट तय कर सकता है। शेयर और डिबेंचर के मामले में लिमिट 40 से 70 फीसदी हो सकती है।

शेयर सहित दूसरे एसेट के मामले में ब्याज दर थोड़ी ज्यादा

आप बैंक से जितनी अवधि के लिए पैसा लेता है, उसी के हिसाब से आपको ब्याज देना पड़ता है।

इसका मतलब यह है कि अगर आपने दिसंबर महीने की 25 तारीख को पैसा लिया है और उसे 25 जनवरी को चुका दिया है तो आपको करीब एक महीने का ही ब्याज देना पड़ेगा।

ब्याज कितना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी किस एसेट पर आपको दी गई है।

अगर आपने एफडी पर यह सुविधा ली है तो आपकी ब्याज दर एफडी पर मिलने वाली ब्याज से 1 से 2 फीसदी ज्यादा रहती है। शेयर सहित दूसरे एसेट के मामले में ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है।

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