विधायक हत्या मामले में पूर्व राजद सांसद को उम्रकैद... 22 साल लग गए न्याय में

Update: 2017-05-23 09:12 GMT

हजारीबाग : झारखंड के हजारीबाग में एक अदालत ने 22 साल पुराने विधायक हत्या मामले में राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद और बिहार के बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुरेंद्र शर्मा ने प्रभुनाथ सिंह को सजा सुनाई। प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह और दूसरे आरोपी रीतेश सिंह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जेल से अदालत के समक्ष पेश किया गया।

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अदालत ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने तीनों को विस्फोटकों का इस्तेमाल करने व इसे पास रखने को लेकर 10 साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। साथ ही उन पर 40,000 रुपये का जुर्माना भी किया।

हजारीबाग की अदालत ने 18 मई को प्रभुनाथ सिह, उनके भाई दीनानाथ सिंह व रीतेश सिंह को तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था। अशोक सिंह ने प्रभुनाथ सिंह को 1995 के विधानसभा चुनावों में हराया था।

प्रभुनाथ सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि अशोक सिंह का चुनाव के बाद 90 दिनों के भीतर सफाया हो जाएगा। अशोक सिंह की पटना में 1995 में उनके आधिकारिक निवास में बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी।

अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने इस मामले में पटना में मामला दर्ज कराया। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर मामला पटना से 1997 में हजारीबाग स्थानांतरित कर दिया गया। आरोप 2008 में तय किए गए। जिन्हें सजा सुनाई गई है, उनके परिवार के सदस्यों ने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाने की बात कही है।

प्रभुनाथ सिंह 1995 में जनता दल में थे। बाद में वह जनता दल यु में शामिल हो गए। वर्तमान में वह राजद में हैं। वह बिहार में महाराजगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के बाहुबली नेता है।

देर से मिले न्याय का दर्द

लेकिन दिवंगत विधायक की पत्नी चांदनी सिंह इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रभुनाथ को फांसी मिलनी चाहिए। झारखंड के हजारीबाग की अदालत द्वारा प्रभुनाथ सिंह सहित तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद चांदनी सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "मैं अदालत के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। हत्यारों ने जिस तरह मेरे पति की हत्या सोची-समझी साजिश के तहत की थी, उन्हें कम से कम फांसी की सजा होनी चाहिए थी।"

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि इस फैसले से मशरक की कई विधवाओं को संतोष मिला होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभुनाथ सिंह ने क्षेत्र की कई औरतों की मांगें सूनी कर दी है।

पटना के राजीवनगर में अपने घर में टेलीविजन पर इस फैसले को सुनने के बाद उन्होंने कहा, "इस फैसले के लिए उन्होंने 22 वर्षो तक संघर्ष किया। मैं अभी भी थकी नहीं हूं। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। करनी का फल देर-सबेर मिलना तय है।"

22 साल बाद फैसला आने के बारे में उन्होंने कहा, "इस मामले में सरकार से लेकर प्रशासन तक ने मेरा साथ नहीं दिया। अगर दिया होता तो यह फैसला कब का आ चुका होता।"

दिवंगत अशोक सिंह के भाई तारकेश्वर सिंह ने कहा, "न्याय के मंदिर को प्रणाम करता हूं। अगर इस फैसले के खिलाफ पूर्व सांसद उच्च न्यायालय जाते हैं, तो वहां भी मजबूती के साथ कानूनी लड़ाई लड़ूंगा।"

राजद नेता प्रभुनाथ सिंह के बारे में उन्होंने कहा कि वह जन्मजात अपराधी हैं, उनकी हत्यारे की प्रवृति रही है, जेल में भी वह शांत नहीं बैठेंगे।

उल्लेखनीय है कि तीन जुलाई, 1995 को मशरक विधानसभा क्षेत्र से जनता दल के विधायक अशोक सिंह की पटना स्थित उनके सरकारी आवास में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में प्रभुनाथ सिंह सहित अन्य पर आरोप लगा था। इस मामले में पटना सचिवालय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बाद में यह मामला, तब एकीकृत बिहार के हजारीबाग अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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