मुजफ्फरपुर बालिका गृह: SC का CBI को 3 जून तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि वह बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में 11 लड़कियों की कथित हत्या की जांच की प्रगति के बारे में तीन जून तक स्थिति रिपोर्ट पेश करे।

Update: 2019-05-06 09:50 GMT

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश दिया कि वह बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में 11 लड़कियों की कथित हत्या की जांच की प्रगति के बारे में तीन जून तक स्थिति रिपोर्ट पेश करे।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रीष्मावकाश पीठ तीन जून को सुनवाई करेगी।

सीबीआई की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या कर दी गयी है और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक दफन स्थल से हड्डियां भी बरामद की हैं।

उन्होंने कहा कि जांच ब्यूरो के लिए 11 लड़कियों की कथित हत्या के मामले की जांच तीन जून तक पूरी करना संभव नहीं होगा।

सीबीआई ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए तीन मई को शीर्ष अदालत से कहा था कि आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या कर दी और उस जगह से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है जहां उन्हें कथित तौर पर दफनाया गया था।

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टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपे जाने के बाद एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में लड़कियों के यौन शोषण और उनसे कथित बलात्कार की घटनायें प्रकाश में आयी थीं।

इस मामले की जांच शुरू में राज्य पुलिस ही कर रही थी, परंतु बाद में इसे केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया। जांच ब्यूरो ने बृजेश ठाकुर सहित 21 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है।

सीबीआई ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि जांच के दौरान दर्ज किये गये पीड़िताओं के बयानों में 11 लड़कियों के नाम उभरकर सामने आये जिनके बारे में बताया गया कि ठाकुर और उनके साथियों ने उनकी कथित रूप से हत्या कर दी है।

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हलफनामे में कहा गया है, ‘‘आरोपी गुड्डू पटेल द्वारा जांच के दौरान दी गयी जानकारी के आधार पर एक दफन स्थल पर गुड्डू की निशानदेही वाले स्थान की खुदाई की गयी तो वहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुयी।’’

जांच ब्यूरो ने कहा है कि इस मामले में उसने ‘‘गहराई से निष्पक्ष जांच की’’ और पीड़िताओं से मिली जानकारी के तुरंत बाद हत्या के आरोपों की जांच शुरू की गयी।

हलफनामे में कहा गया कि आश्रयगृह की मास्टर पंजिका में दर्ज इन 11 लड़कियों के नाम की जांच करने पर पता चला कि एक जैसे नाम की 35 लड़कियां मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में किसी न किसी समय रही थीं। आश्रयगृह में रहने वाली लड़कियों द्वारा जांच अधिकारियों के समक्ष किए गए खुलासे के आधार पर स्थानीय पुलिस/सीबीआई ने सभी कथित दफन स्थलों पर खुदाई की थी।

सीबीआई ने कहा है कि इन लड़कियों के शारीरिक और यौन शोषण में बाहरी व्यक्तियों की संलिप्तता के आरोपों की उसने जांच की है और पीड़िताओं द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है।

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हलफनामे में जांच ब्यूरो ने इन आरोपों से इनकार किया है कि असली अपराधियों के बारे में पीड़िताओं द्वारा उपलब्ध कराये गये सुराग या बाहरी व्यक्तियों की भूमिका के बारे में दी गयी जानकारी की जानबूझकर जांच नहीं की गयी है। हलफनामे के अनुसार बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी के खिलाफ भी इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया है।

शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में इस सनसनीखेज मामले के मुकदमे को बिहार की अदालत से नयी दिल्ली स्थित साकेत जिला अदालत परिसर में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के मुकदमों की सुनवाई करने वाली अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

भाषा

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