BJP Parliamentary Board Member: कारगिल शहीद की पत्नी हैं सुधा यादव, कभी मोदी ने 11 रुपए देकर उतारा था चुनाव में

BJP Parliamentary Board Member: सुधा यादव बीते दो दशक से राजनीति में हैं। सुधा कारगिल शहीद की पत्नी हैं। उनका राजनीतिक करियर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से शुरू हुआ था। जानें उनका राजनीतिक सफर..

Written By :  aman
Update:2022-08-17 20:18 IST

पीएम मोदी के साथ सुधा यादव 

Sudha Yadav : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) ने बुधवार (17 अगस्त) को नए संसदीय बोर्ड का ऐलान किया। इस लिस्ट में जहां बाहर होने वाले नेताओं ने चौंकाया उससे ज्यादा शामिल होने वाले एक नाम सुधा यादव की खूब चर्चा रही। जिसके बाद आज दिनभर सुधा यादव को काफी सर्च किया जाता रहा।

दरअसल, सुधा यादव का ताल्लुक हरियाणा के रेवाड़ी जिले से है। सुधा रेवाड़ी की रहने वाली हैं। वर्तमान में वो भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव हैं। सुधा लोकसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं। आपको बता दें, कि सुधा यादव वर्ष 1999 से 2004 तक यानी 13वीं लोकसभा की सदस्य रही हैं। उन्होंने महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट (Mahendragarh Lok Sabha seat) से बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर चुनावी जीत हासिल की थी।

कारगिल शहीद की पत्नी हैं सुधा

सुधा यादव (Sudha Yadav) के पति सुखबीर सिंह यादव (Sukhbir Singh Yadav) सीमा सुरक्षा बल (BSF) में डिप्टी कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे। कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए सुखबीर सिंह शहीद हो गए। सुधा यादव स्वयं पेशे से प्रवक्ता हैं। वर्तमान में वो बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव (BJP National Secretary) हैं। सुधा यादव ने साल 1987 में रुड़की विश्वविद्यालय (University of Roorkee) से ग्रेजुएशन किया है। इसी यूनिवर्सिटी को अब आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के नाम से जाना जाता है।


लगातार चुनावी हार के बाद भी पार्टी का भरोसा कायम

साल 1999 में भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में उम्मीदवार की खोज कर रही थी तभी सुधा यादव का नाम सामने आया था। मगर, वो बच्चों की देखभाल के लिए चुनाव लड़ना नहीं चाहती थीं। सुधा यादव वर्ष 1999 से 2004 तक 13वीं लोकसभा की सदस्य रही हैं। मगर, सुधा वर्ष 2004 में महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव हार गईं। पार्टी ने अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें फिर मैदान में उतारा। साल 2009 में बीजेपी ने उन्हें गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा। मगर, यहां भी कामयाबी नहीं मिली। वर्ष 2015 में सुधा यादव को बीजेपी ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया।

नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के दिए 11 रुपए दिए थे

सुधा यादव के बारे में खास बात ये है कि उनका नाम नरेंद्र मोदी की तरफ से आया था। तब मोदी हरियाणा के प्रभारी हुआ करते थे। ये बात सुधा यादव ने स्वयं सार्वजनिक तौर पर कही थी। उन्होंने कहा था कि, वो चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं, मगर नरेंद्र मोदी के आग्रह पर उन्होंने चुनाव लड़ा था। इस दरमियान उन्होंने एक किस्सा भी सुनाया। सुधा बताती हैं कि, नरेंद्र मोदी ने चुनाव के वक्त उन्हें अपनी मां के दिए 11 रुपए देकर चुनाव लड़ने के लिए कहा था।


हरियाणा की राजनीति में 'यादव फैक्टर' अहम

बुधवार को जब बीजेपी अध्यक्ष ने पार्लियामेंट्री बोर्ड और चुनाव समिति की घोषणा की तो दोनों ही लिस्ट में सुधा यादव का नाम शामिल था। जिसके बाद उनके भविष्य को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया। गौरतलब है कि, हरियाणा की राजनीति में 'यादव फैक्टर' अहम होता है। सुधा जिस राज्य से आती हैं वहां की राजनीति यादव समाज के इर्द-गिर्द घूमती है। हरियाणा में यादवों को समृद्ध और धनाढ्य के के रूप में भी देखा जाता रहा है।

बीजेपी हो जहां हाल ही में बिहार से बड़ा झटका लगा है, वहां सुधा यादव फायदा दे सकती हैं। दूसरी तरफ, हरियाणा में बीजेपी की जमीन को भी मजबूत कर सकती हैं। कुछ राजनीतिक जानकार सुधा यादव को बीजेपी की दूसरी 'सुषमा स्वराज' के रूप में भी देख रहे हैं। अब ये आने वाला समय तय करेगा कि सुधा यादव बीजेपी आलाकमान के भरोसे पर कितना खड़ा उतर पाती हैं। 

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