मेडिकल कॉलेजों में राज्य के मूल निवासी को ही मिले दाखिला : SC

मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ राज्य के मूल निवासी को ही दाखिला दिए जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस शरद अरविंद बोबडे और एल़ नागेश्वर राव की बेंच ने मंगलवार को सही ठहराया।

Update: 2017-08-29 16:14 GMT

नई दिल्ली/जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ राज्य के मूल निवासी को ही दाखिला दिए जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस शरद अरविंद बोबडे और एल़ नागेश्वर राव की बेंच ने मंगलवार को सही ठहराया। राजनीतिक दलों सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं।

हाईकोर्ट के वकील आदित्य सांघी ने बताया कि नेशनल लेवल पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए प्रतियोगिता परीक्षा 'नीट' हुई थी। इसमें कई गड़बड़ियां सामने आने पर मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर निवासी विनायक परिहार और जबलपुर निवासी तारिषी वर्मा की तरफ से याचिका दायर की गई थी। याचिका पर हाईकोर्ट की जस्टिस आर.के. झा और जस्टिस नंदिता दुबे की बेंच ने गुरुवार को आदेश दिया था कि शासकीय स्वशासी चिकित्सा एव दंत चिकित्सा महाविद्यालयों के पाठयक्रमों में नियम-2017 के अनुसार प्रदेश के मूल निवासी स्टूडेंट्स को ही प्रवेश दिया जाए।

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राज्य सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई और काउंसिलिंग पूरी हो जाने का हवाला दिया। साथ ही अनुरोध किया कि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सामाजिक संगठन 'विचार मध्यप्रदेश' ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि इससे राज्य के छात्र ठगे जाने से बच गए।

विचार मध्यप्रदेश की कोर कमेटी के सदस्य विनायक परिहार, अक्षय हुंका, विजय बाते आदि ने एक बैठक कर सरकार से पूछा है कि राज्य में दो मूल निवासी प्रमाणपत्र वालों के आवेदन निरस्त क्यों नहीं किए गए, जब हाईकोर्ट ने प्रदेश के बच्चों के पक्ष में निर्णय दिया, तो बजाय उनका साथ देने के सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील क्यों की?

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उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम शिवराज सिंह चौहान कुछ लोगों को फायदा पहुचाने के लिए प्रदेश के प्रतिभाशाली बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।

वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश के रहनुमा होने का दावा करने वाले सीएम चौहान प्रदेश के युवाओं के साथ विश्वासघात कर रहे हैं।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट के मामले में दूसरे प्रदेश के युवाओं को भी दाखिले का मौका दिए जाने की अपील वाली शिवराज सरकार की याचिका खारिज होने पर कहा कि इस मामले में व्यापमं से बड़ा घोटाला हुआ है। इसकी निष्पक्ष जांच हो, तो शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी सांठगांठ का खुलासा होगा।

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--आईएएनएस

 

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