गोपीचंद नारंग: उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार का अमेरिका में निधन, 91 वर्ष की आयु में कहा दुनिया को अलविदा

Urdu litterateur Gopi chand Narang: 91 वर्षीय प्रोफेसर गोपीचंद नारंग का बुधवार को अमेरिका के चार्लोट में निधन हो गया। नारंग ने शैक्षणिक करियर पर रहते हुए कुल 57 किताबों की रचना की।

Report :  Rajat Verma
Update:2022-06-16 08:38 IST

उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार गोपीचंद नारंग (Social media)

Urdu litterateur Gopi chand Narang : प्रोफेसर गोपीचंद नारंग उर्द जगत की जानी-मानी हस्ती थे। उन्होनें उर्दू जगत को कई प्रतिष्ठित सम्मानों तक पहुंचाने के साथ ही उर्दू साहित्य में खुद का एक अलग मुकाम हासिल किया। लेकिन बीते दिन बुधवार को उर्दू साहित्य का यह जगमगाता सितारा हमेशा के लिए बुझ गया। 91 वर्षीय प्रोफेसर गोपीचंद नारंग का बुधवार को अमेरिका के चार्लोट में निधन हो गया। प्रोफेसर नारंग के अलावा उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी मनोरमा नारंग, दो बेटे, बहुएं और पोते-पोतियां हैं। गोपीचंद नारंग अचानक से अपने परिवार और साहित्य जगत को छोड़कर इस दुनिया से विदा हो गए। 

कई प्रतिष्ठित सम्मानों के बने हकदार 

प्रोफेसर गोपीचंद नारंग को सर्वप्रथम वर्ष 1995 में साहित्य जगत के सबसे बड़े सम्मान साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया तथा साथ ही उनकी लेखनी के लिए उन्हें गालिब पुरस्कार भी सौंपा गया। इसके अलावा प्रोफेसर नारंग को साहित्य जगत में उनकी अभूतपुर्व उपलब्धियों के लिए वर्ष 2024 में भारत सरकार के प्रतिष्ठित सम्मान पद्म भूषण से अलंकृत किया गया। साथ ही उन्हें पाकिस्तान के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान सितार ए इम्तियाज से भी नवाजा गया। 

57 किताबों के रचयिता थे प्रोफेसर नारंग 

प्रोफेसर गोपीचंद नारंग ने अपने शैक्षणिक कैरियर पर रहते हुए अबतक कुल 57 किताबों की रचना की, जिन्होनें साहित्य जगत में काफी उपलब्धि हासिल की। प्रोफेसर नारंग की प्रमुख रचनाओं में इकबाल का फन, जदीदियत के बाद, अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम, आदि कई प्रसिद्ध रचनाएं शामिल हैं। 

जन्म और शिक्षा 

प्रोफेसर गोपीचंद नारंग का जन्म 11 फरवरी 1931 को बलूचिस्तान में हुआ था, जो कि आज वर्तमान में पाकिस्तान के अधीन है। अपनी स्कूली और शुरुआती शिक्षा वहीं से पूर्ण करने के पश्चात वह भारत आ गए और प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय से 1954 में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के बाद 1958 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ही अग्रणी शिक्षा पूर्ण करते हुए उर्दू साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉक्टरेट बनने के बाद प्रोफेसर नारंग ने अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत सेंट स्टीफेंस से की। 

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