Uttarakhand: उत्तराखंड के इस ऐतिहासिक मंदिर पर मंडरा रहा खतरा, ढांचे के एक तरफ झुकने से मचा हड़कंप

Uttarakhand: गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ के मध्य में स्थित भगवान रूद्रनाथ की यह शीतकालीन गद्दी भी है।

Update:2023-06-27 12:22 IST
historic Gopinath temple in chamoli (photo: social media )

Uttarakhand: देवभूमि उत्तराखंड सनातन धर्म में सबसे अहम स्थान रखता है। चारधामों के लिए प्रसिद्ध इस राज्य में ऐसे कई प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरें हैं, जो यहां की धरोहर है। मगर हाल फिलहाल में पर्यावरणीय संकट के कारण इनमें से कई धरोहरों पर खतरा मंडराने लगा है। चमोली जिले के गोपेश्वर स्थित भगवान गोपीनाथ का मंदिर इन्हीं में से एक है। इस ऐतिहासिक मंदिर के वजूद पर संकट उत्पन्न हो गया है।

मंदिर का एक हिस्सा अचानक झुक जाने से पुजारियों और रखरखाव का काम देखने वाले लोगों में हड़कंप मच गया है। स्थानीय लोग भी बेहद चिंतित हैं। गर्भगृह में पानी भी टपक रहा है। मंदिर समिति ने फौरन इसकी सूचना जिला प्रशासन और पुरात्तव विभाग को दी है। दरअसल, प्राचीन मंदिर होने के कारण इसके संरक्षण का काम पुरात्तव विभाग के जिम्मे है।

भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर

गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ के मध्य में स्थित भगवान रूद्रनाथ की यह शीतकालीन गद्दी भी है। मान्यता है कि इसका निर्माण कत्यूरी राजाओं ने करवाया था। यहां हर साल देश के अलग-अलग कोने से हजारों लोग भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। मंदिर की स्थिति को देखकर यहां आने वाले भक्त भी चिंतित हैं। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से जल्द से जल्द मंदिर के मरम्मत का काम शुरू करने का आग्रह किया है, ताकि इसके वजूद पर आए खतरे को टाला जा सके।

मंदिर के क्षतिग्रस्त होने की वजह

उत्तराखंड समेत हिमालय की गोद में बसे शहरों और गांवों की इन दिनों एक ही समस्या है। जमीन का धंसान, घरों में दरार आना इत्यादि। इसके पीछ आबादी के बढ़ने के कारण हो रहे बेतरतीब निर्माण को जिम्मेदार माना जा रहा है। प्रसिद्ध गोपीनाथ मंदिर भी इसी का शिकार हो रहा है। गोपेश्वर जहां यह मंदिर स्थित है, चमोली जिले का मुख्यालय है।

सीमावर्ती और दुर्गम इलाका होने के कारण दूरदराज के क्षेत्रों में विकास की रोशनी बहुत कम पहुंची है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं की कमी के कारण बड़ी संख्या में गांवों से लोग गोपेश्वर आकर बस गए हैं, जहां ये सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसी संख्या में बड़ी संख्या में लोगों ने गोपेश्वर में घर बना लिए हैं। लेकिन आबादी के लिहाज से यहां का ड्रेनेज सिस्टम नाकाफी है। जिसके कारण अलग-अलग हिस्सों में भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। उसी के चपेट में अब यह ऐतिहासिक मंदिर भी है।

Tags:    

Similar News