Uttarkashi Tunnel Update: बस कुछ देर और! टनल में फंसे मजदूर का 15 घंटों में पूरा हो सकता रेस्क्यू; पल-पल की जानकारी ले रहे PM मोदी

Uttrakhand Tunnel Collapse: 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद सुरंग ढह गई थी जिससे मजदूर फंस गए। ताज़ा स्थिति ये है कि पहाड़ की चोटी से नीचे की तरफ ड्रिल किया जा रहा है ताकि मजदूरों को निकाला जा सके।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-11-22 12:55 IST

Uttarakhand Tunnel (फोटो: सोशल मीडिया )

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के अभियान का आज 11वां दिन है। 12 नवंबर को भूस्खलन के बाद सुरंग ढह गई थी जिससे मजदूर फंस गए। ताज़ा स्थिति ये है कि पहाड़ की चोटी से नीचे की तरफ ड्रिल किया जा रहा है ताकि मजदूरों को निकाला जा सके। इसके अलावा कई अन्य दिशाओं से भी ड्रिलिंग की योजना है। प्लान है कि ड्रिल करके बड़ा पाइप डाला जाएगा जिससे मजदूर बाहर निकाल लिए जाएंगे। ये काम अगले तीन से चार दिन में हो जाने की उम्मीद है।

अगले 15 घंटे हैं अहम

उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर DM अभिषेक रूहेला का कहना है कि 800 एमएम व्यास के पाइप को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। जैसे ही वो पहले वाले पाइप की लंबाई को पार करेगा, ड्रिलिंग के लिए मशीन भी लगा दी जाएगी। अगले 24 घंटे बेहद महत्वपूर्ण रहेंगे। वहीं सुरंग हादसे में फंसे एक श्रमिक के परिजन इंद्रजीत कुमार ने बताया कि मेरे दो परिचित लोग सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं, जिसमें से एक मेरा भाई और दूसरा रिश्तेदार है। अधिकारी जो बात बता रहे हैं वह सच है। मैं खुद आज सुबह 6 बजे के आसपास टनल के अंदर गया था। वे सभी सुरक्षित हैं। 

अब 900 एमएम का पाइप भेजने की तैयारी

आरवीएनएल की कंसलटेंसी एजेंसी के इंजीनियर नाईजेल ने कहा कि मजदूरों को बचाने के लिए लगातार टीमें प्रयास कर रही हैं। 38 मीटर तक ड्रिलिंग हो गई है। मशीन से कल 800 एमएम का पाइप भेजा गया था। आज 900 एमएम पाइप भेजने का प्रयास जारी है। 12 नवंबर की सुबह से फंसे 41 श्रमिकों को आज देर रात या कल सुबह तक निकाले जाने की उम्मीद जग गई है। पाइपों को मलबे के भीतर से आर-पार भेजने का कार्य लगातार जारी है। बुधवार सुबह 10 बजे तक 34 मीटर पाइप जा चुका है, जबकि कुल 60 मीटर लंबा पाइप ड्रिल किया जाना है।

मजदूर सुरक्षित

सुरंग में फंसे मजदूरों तक एक फ्लेक्सी इंडोस्कोपिक कैमरा पहुंचा है जिसके जरिये सभी मजदूरों की वीडियो सामने आई है। वीडियो में मजदूर सुरक्षित दिखाई दे रहे हैं।


गर्म भोजन पहुंचाया

पिछले दिन डाले गए 6 इंच के पाइप के माध्यम से गर्म भोजन भेजे जाने के साथ, अब मजदूरों के उचित पोषण पर ध्यान दिया जा रहा है। इस पाइप के जरिये से वीडियो कैप्चर करने के लिए एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे भेजे गए थे।

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ऊपर से ड्रिलिंग

अधिकारियों ने कहा है कि वर्टिकल ड्रिलिंग को फिर से शुरू करना प्राथमिक विकल्प है हालांकि बरमा मशीन में खराबी आने के बाद पिछले शुक्रवार को इसे रोकना पड़ा था। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में वर्टिकल ड्रिलिंग दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है।शुक्रवार को जब ड्रिलिंग बंद हुई, तब तक 22 मीटर की कुल लंबाई वाले 3 फुट चौड़े पाइप मलबे में डाले जा चुके थे। 21 नवम्बर को, 2.7 फुट चौड़े पाइप भी 22 मीटर की कुल लंबाई तक 3 फुट वाले पाइप में डाले गए। चुनौती ड्रिलिंग को फिर से शुरू करने की है क्योंकि ऑगर मशीन रुकने से पहले एक कठिन बाधा से टकराई थी।

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दूसरे छोर से ड्रिलिंग

समानांतर रूप से, सुरंग के दूसरे छोर - बड़कोट की तरफ से ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है। सुरंग में बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने कहा, “बड़कोट छोर से ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। इसके लिए टीएचडीसी से आठ लोगों की टीम आ चुकी है। यहां से 2-2.5 मीटर व्यास की सुरंग तैयार की जाएगी।” इस बीच, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक सलाह के बाद जिसमें टीवी चैनलों को अपनी रिपोर्टिंग को सनसनीखेज नहीं बनाने की सलाह दी गई, उत्तराखंड में कवरेज का स्वर नरम हो गया है।


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कहाँ के हैं मजदूर

सुरंग में 41 मजदूर फंसे हुए हैं। जिनमें झारखंड से पंद्रह, उत्तर प्रदेश से आठ, ओडिशा और बिहार से पांच-पांच, पश्चिम बंगाल से तीन, उत्तराखंड और असम से दो-दो और हिमाचल प्रदेश से एक है। उत्तरकाशी सुरंग के अंदर फंसे लोग अलग-अलग राज्यों से आए होंगे, लेकिन आजीविका की तलाश में बाहर निकलने की जरूरत ने उन्हें एकजुट कर दिया। वहां काम करने वाले लोग दो वेतन श्रेणियों में आते हैं: कुशल श्रमिकों, पंप ऑपरेटरों या ड्रिलर्स के लिए 24,000 रुपये; और अकुशल श्रमिकों जैसे मजदूरों या सहायकों के लिए 18,000 रुपये महीना।

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