जब बेटे को छोड़ राजमाता सिंधिया ने किया अटल जी का प्रचार

Update: 2018-08-16 11:21 GMT

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के युग पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं, जहां उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। साल 2009 से व्हीलचेयर पर बैठे वाजपेयी डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में वाजपेयी की सलामती के लिए देशभर में मौजूद उनके प्रशंसकों ने प्रार्थना करना शुरू कर दी है।

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बता दें, 93 साल के वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए भारतीय राजनीति में कदम रखा था। साल 1942 से 2004 तक राजनीति में सक्रिय रहे वाजपेयी इतने फेमस पॉलिटिशियन हैं कि जिनकी प्रशंसक खुद राजमाता सिंधिया थी।

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राजमाता सिंधिया का भी अटल जी से कनेक्शन पुराना है। दरअसल, अटल जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था, इसलिए उनका काफी समय मध्यप्रदेश में बीता। राजमाता राजघराने से ताल्लुक रखती थीं लेकिन अटल जी को बहुत मानती थीं। यही कारण है कि जब अटल जी और माधव राव सिंधिया चुनाव लड़ रहे थे, तब राजमाता ने अपने बेटे माधव का साथ न देकर अटल जी के लिए प्रचार किया। इससे साफ पता चलता है कि अटल जी को राजमाता कितन मानती थीं।

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राजमाता विजयाराजे सिंधिया का अटल जी से इसलिए भी कनेक्शन पुराना और गहरा था क्योंकि वो भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक थीं जबकि उनके बेटे माधव राव सिंधिया कांग्रेस में थे। राजमाता और उनके बेटे के संबंध हमेशा से खराब थे, जिसकी वजह से राजमाता ने अटल जी का प्रचार किया था। राजमाता का मध्य प्रदेश की राजनीति में भी काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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