नई दिल्लीः ऐसे मौके पर जबकि कांग्रेस को लाल किले के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लालकिले के भाषण में कोई नई घोषणा न करने और पुरानी ही घोषणाओं की रटबाजी व उन पर मुल्लमा लगाकर कोरा बखान करने पर जमकर घेराबंदी करनी थी, पार्टी बैठे बिठाए एक ऐसे विवाद में घिर गई, जिसकी वजह से वह अंदरूनी द्वंद्व में फंस गई है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान से अलग होने की मांग करने वाले बलूच राष्ट्रवादियों के आंदोलन हवा देने के पीएम मोदी के बयान की आलोचना करते ही कांग्रेस में दो ध्रुव बन गए हैं। यही वजह है कि सलमान के बयान का असर कम करने के लिए सोनिया और राहुल गांधी की सलाह के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला से यह बयान जारी करवाया गया कि बलूचिस्तान व पाक के कब्जे वाले कश्मीर के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले व उसके सर्वदलीय बैठक में जो बयान दिया है उसका समर्थन करना ही कांग्रेस के हित में है।
मनोवैज्ञानिक दबाव में कांग्रेस
कांग्रेस के सूत्रों ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के बारे में मोदी की रणनीति भले ही युद्धोन्माद खड़ा करना है, लेकिन कांग्रेस को कश्मीर के हालात और पाकिस्तान के प्रति अपनाई जाने वाली नीति से अलग होने का सीधा सा मतलब है कि पार्टी पूरी तरह अलग-थलग पड़ जाएगी। कांग्रेस में यह मनोवैज्ञानिक डर भी काम कर रहा है कि 2014 के आम चुनावों में करारी हार की समीक्षा के बाद भी पार्टी में यह विचार प्रमुखता से उभरा कि राष्ट्रवादी मुद्दों पर उसके नकारात्मक रुख को जनता ने पसंद नहीं किया। इसलिए यह बखूबी जानते हुए भी कि मोदी की छवि अल्पसंख्यक समुदाय में नकारात्मक होने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचंड बहुमत हासिल हो गया।
पहले भी रहे हैं दो ध्रुव
माना जा रहा है कि कांग्रेस में इसी तरह के दो ध्रुव ढाई दशक पूर्व अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान भी थे। जब एक मजबूत तबके का दबाव था कि कांग्रेस को राम मंदिर आंदोलन के खिलाफ ज्यादा मुखर नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे हिंदू भावनाएं कांग्रेस से दूर होती चली जाएंगी। दो भागों में बंटी कांग्रेस में आने वाले दिनों में कश्मीर व पाकिस्तान को लेकर खींचातानी तेज होने की संभावनाएं इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस को कड़ी सियासी चुनौती से जूझना है। मोदी के हाल के भाषण का समर्थन करने वाले कांग्रेस नेताओं के तर्क ये भी हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों तक पार्टी को मोदी या भाजपा के किसी ऐसे जाल में नहीं फंसना है, जिससे पार्टी राजनीतिक मुख्यधारा से अलग-थलग हो। जाहिर है जीएसटी का विरोध करने के बाद भी आखिर में कांग्रेस को जब लगा कि देश में कर प्रणाली के सरलीकरण से कई जरूरी चीजों के दाम घटेंगे जिससे आम आदमी को राहत मिलेगी तो शुरूआती विरोध के बाद वह आखिर रास्ते पर आ गई।
सलमान के भी समर्थक
कांग्रेस नेताओं की एक अच्छी-खासी जमात यह भी मानती है कि पाकिस्तान में चाहे बलूचिस्तान हो या पीओके का मामला। इस मौके पर ऐसा कुछ भी बयान नहीं दिया जाना चाहिए, जिससे पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय जगत में कोई लाभ उठाने की हालत में हो। दूसरी ओर, कांग्रेस में सलमान के बयान का समर्थन करने वालों की भी कमी नहीं है। उन्हें लगता कि बलूचिस्तान की जो भौगोलिक स्थिति है उससे भारत को कोई लाभ नहीं होने वाला है और भारत अगर बलूचिस्तान मामले को लंबा खींचने की कोशिश करेगा तो दुनिया के बाकी देश जो शांतिप्रिय देश होने के कारण भारत की क्रद करते हैं, हमें संदेह की नजर से देखना आरंभ कर देंगे।
क्या कहती है पार्टी
कांग्रेस महासचिव मोहन प्रकाश कहते हैं कि पाकिस्तान की असलियत पूरी दुनिया को पता है। इसलिए परमाणु परीक्षण के कई साल बाद जब भारत सरकार ने अमेरिका से एटमी डील पर करार कर लिया तो उसके बाद भी भले ही भारत के परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद भी दुनिया की बड़ी शक्तियों ने भारत के साथ खुशी-खुशी परमाणु समझौते किए। आज हमें यूरेनियम की कोई कमी नहीं है, जबकि पाकिस्तान के साथ ऐसा नहीं है। पाकिस्तान कभी भी विश्वास और साख के मामले में भारत के समकक्ष खड़ा नहीं हो सकता।