Lakhimpur Kheri News: पापा की मौत के बाद बच्चे ने डॉक्टरों पर लगाए थे गंभीर आरोप, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने लिया संज्ञान
Lakhimpur Kheri News: कहा- जिम्मेदार लोगों के खिलाफ होगी सख्त से सख्त कार्रवाई, सीएमओ से मांगी रिपोर्ट।
Lakhimpur Kheri News: जिला अस्पताल में हुए मरीज की मौत के मामले को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने लिया संज्ञान। बेटे का रोते हुए वीडियो हुआ था वायरल। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने संज्ञान लेते हुए कहा कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ होगी सख्त से सख्त कार्रवाई, सीएमओ से मांगी रिपोर्ट। लखीमपुर खीरी जिले में जिला अस्पताल में समय से डॉक्टर न मिलने की वजह मरीज ने दम तोड़ दिया। डॉक्टर ने मरीज को हॉस्पिटल में एडमिट तो किया, लेकिन उसे कोई देखने नहीं पहुंचा। यह आरोप एक बच्चे ने जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर लगाया।
दरअसल एक 12 वर्षीय बच्चा अपने पिता को रात करीब 1: 00 बजे जिला अस्पताल लेकर आया। डॉक्टर ने मरीज को एक पर्चे पर रेफर दू फिजीशियन लिखकर एडमिट कर दिया, लेकिन समय से इलाज न मिलने के कारण पिता ने बच्चे के सामने दम तोड़ दिया। अपनी आंखों के सामने पिता को मरते देख बेटे ने कहा कि डॉक्टरों की लापरवाही से मेरे पापा की मौत हो गई, डॉक्टर की हिम्मत है तो मेरे पापा को लौटा दें। उसने रोते हुए सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, जिसका वीडियो सामने आया है।
भर्ती होने के बाद उन्हें कोई डॉक्टर समय से देखने नहीं आया- बेटा
कस्बा आयल के मोहल्ला महावीरी निवासी 55 वर्षीय रामचंद्र पांडे पुत्र कोदी पांडे का ब्लड प्रेशर बढ़ने पर परिजन उसे 108 एंबुलेंस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे थे। उसके साथ उनका बेटा आदर्श भी आया था। आदर्श ने रोते हुए कहा, मैं अपने पिता को मम्मी के साथ लेकर आया था। भर्ती होने के बाद उन्हें कोई डॉक्टर समय से देखने नहीं आया।
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मेरी मां ने पूछा तो बताया कि डॉक्टर अगले दिन 9:00 बजे या 11:00 बजे आएंगे। उसने कहा कि करीब आधे घंटे बाद डॉ. ललित कुमार ने पापा को भर्ती किया। लेकिन उसके बाद कोई देखने नहीं आया। करीब रात 1:50 बजे पिता ने दम तोड़ दिया था। डॉक्टरों की लापरवाही से पिता की जान चली गई।
बच्चे ने डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर की। हालांकि हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कर ली गई है। मरीज की मौत के मामले को लेकर जिला अस्पताल के डॉक्टरों से बात की गई तो डॉक्टर रामसेवक भदोरिया ने बताया कि मरीज का पल्स रेट बहुत कम था। उसे तुरंत ऑक्सीजन लगाया गया, जितना संभव था, उसको बचाने को प्रयास किया गया। डॉक्टरों पर लगाए गए आरोप गलत हैं।