पूर्णिमा
गोरखपुर: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन का संकट जानलेवा साबित हुआ। ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से 24 घंटे के भीतर 30 मासूमों की मौत हो गई। 10 मौतें इंसेफेलाइटिस वार्ड में हुई है जबकि 11 मौतें एनएनयू (न्यू नेटल यूनिट) वार्ड में हुई है। हालांकि, प्रशासन अभी इंसेफेलाटिस से चार मौतों की ही पुष्टि की है। मेडिकल कॉलेज में अफरातफरी का माहौल है। मेडिकल कॉलेज में मृतकों के परिजनों की चीख-पुकार सुनाई दे रही है।
बता दें, कि गुरुवार को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टेक्नीशियन ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को पत्र भेजकर ऑक्सीजन खत्म होने के बारे में जानकारी दी थी। सुबह तक सप्लाई नहीं होने से स्थिति बिगड़ने लगी।
इन मौतों पर अब राजनीति तेज होने लगी है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता बीआरडी मेडिकल कॉलेज में धरने पर बैठ गए हैं। दूसरी तरफ, पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्विट कर योगी सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है साथ ही पीड़ितों के आश्रितों को 20-20 लाख रुपए मुआवजा देने की भी मांग की है।
आपूर्ति फर्म का करीब 64 लाख रुपए बकाया
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया था। आपूर्ति करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने करीब 64 लाख रुपए बकाया होने पर आपूर्ति ठप करने की सूचना दो दिन पहले प्रिंसिपल को दी थी।
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आपूर्ति फर्म ने स्टॉक बेहद कम होने की दी जानकारी
आपूर्ति फर्म ने गुरुवार को सेंटर पाइपलाइन ऑपरेटर ने प्रिंसिपल, एसआईसी, एचओडी एनेस्थिसिया, इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल अधिकारी को पत्र के जरिए दोबारा लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई का स्टॉक बेहद कम होने की जानकारी दी। गुरुवार को लिक्विड ऑक्सीजन की रीडिंग 900 थी।
ये कहना है प्राचार्य का
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.राजीव मिश्रा का कहना है, कि 'आज दिन में तीन बजे ऑक्सीजन की आपूर्ति सामान्य हो गई है। स्थिति नियंत्रण में है।'
ये कहा डीएम ने
वहीं, इस मामले में डीएम राजीव रौतेला का कहना है कि अब तक जो भी मौतें हुई हैं वो ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं बल्कि अन्य कारणों से हुई हैं। हालांकि उन्होंने 7 मौतों की पुष्टि की है। साथ ही कहा है कि यह जांच का विषय है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।