EXCLUSIVE: कैराना पर BJP की जांच- आज हिंदू, कल मुस्लिमों की बारी

Update: 2016-06-16 02:11 GMT

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Yogesh Mishra

लखनऊः कैराना के मुद्दे पर बीजेपी सांसदों और नेताओं की टीम की पड़ताल इस कस्बे की बेहद भयावह तस्वीर पेश करती है। जांच कहती है कि बीजेपी नेताओं की टीम ने जो देखा वह रूह कंपा देने वाला है। खास बात ये है कि जांच कहती है कि आज हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन बहुत जल्द मुस्लिम व्यापारियों और वहां रहने वाले दूसरे संप्रदाय के लोगों को भी बख्शा नहीं जाएगा। टीम के सदस्य और बीजेपी विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक राधामोहन दास अग्रवाल के मुताबिक यह पलायन सांप्रदायिक नहीं, आपराधिक है और इसमें अफसरों, नेताओं और अपराधियों का गठजोड़ है। ये गठजोड़ दहशत को हथियार बनाकर रंगदारी का धंधा चमका रहा है।

जेल से मुकीम काला और उसके साथी चला रहे अपना धंधा

जांच के मुताबिक स्थिति ये है कि आज हिंदू परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है। वो सांझ ढलने के बाद घर से निकलने में डर रहे हैं, लेकिन वो दिन दूर नहीं, जब मुस्लिम परिवार भी ऐसे ही हालात की जद में आ जाएंगे। जांच यह भी भविष्यवाणी कर रही है कि यह दिन अब बहुत दूर नहीं है। जिस तेजी से पलायन हो रहा है, उससे साफ है कि आज हिंदुओं तो कल मुस्लिमों की बारी है। मुसलमान भी यहां से पलायन करेंगे।

स्थानीय सांसद हुकुम सिंह ने पलायन करने वाले परिवारों की जो सूची दी है, वह बहुत छोटी है, बहुत सारे लोग जो यहां से भागने को तैयार हैं, वे सुरक्षित ठिकाना न मिल पाने के कारण कैराना में रुके हैं। जेल में बंद मुकीम काला और मेहताब काना, इनाम धुरी समेत 25 लोगों का गैंग है। ये जेल से रंगदारी करते हैं। जो लोग पुलिस में शिकायत लेकर गए, उनमें कई की हत्या हो गई। ऐसे में पुलिस-प्रशासन से भरोसा उठ गया है।

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एसपी शामली की भूमिका है संदिग्ध

राधामोहन दास अग्रवाल कहते हैं कि सरकार ने कोई कदम उठाना तो दूर, उसे रोकने के लिए भी कुछ नहीं किया। वह कहते हैं कि एसपी शामली खुद ही इस कॉकस का हिस्सा दिखते हैं और उनकी आंखें बंद रखने के बाद तो पुलिस कुछ करना ही नहीं चाहती। नतीजा ये है कि रंगदारी का धंधा पुलिस के संरक्षण में शबाब पर है। पुलिस, अपराधी और राजनेताओं के गठजोड़ से अपराधी दिनदहाड़े गंभीर आपराधिक वारदात कर रहे हैं। जो कुछ अखबारों और न्यूज चैनलों में आ रहा है, स्थिति उससे बदतर है।

रंगदारी के अलावा रियल एस्टेट का भी धंधा

रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला सिर्फ रंगदारी तक ही सीमित नहीं है। रियल एस्टेट के लिए ये गैंग अपनी दहशत का इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल, लोग सिर्फ इसलिए रुके हैं कि उनकी प्रॉपर्टी के सही दाम नहीं लग रहे। ऐसे में ये गैंग लोगों को डरा-धमका रहा है और इसी दहशत के कारण गैंग के ही गुर्गों को लोग औने-पौने दाम पर जमीन बेच कर भाग रहे हैं। यानी दहशत का इस्तेमाल कर जमीनों को कौड़ियों के दाम खरीद कर ये गैंग अब अरबों बनाने की फिराक में है।

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लोग डरे और उनके होंठ सिले हैं

खास बात ये है कि दहशत इतनी ज्यादा है कि लोग अपने पलायन को सामान्य दिखाने में जुटे हैं। कोई कहता है कि बेटा गाजियाबाद में है, इसलिए वहां जा रहा हूं। कोई दूसरे बहाने बना रहा है। ऐसा इसलिए कि उन्हें पता है कि प्रशासन से लेकर कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आने वाला। पुलिस की आंख पर पट्टी बंधी है। ऐसे में बोल कर दुश्मनी क्यों मोल लें।

कोई सुरक्षित नहीं

दरअसल ये पूरा मामला किसी एक संप्रदाय से जुड़ा नहीं है। बीजेपी नेताओं की जांच के मुताबिक मामला सांप्रदायिक उस वक्त होता, जब किसी एक संप्रदाय के आम लोग इसमें शामिल होते। यहां तो अपराधी इशारा कर रहे हैं और सरकारी मशीनरी उसका पालन। ऐसे में कोई खास संप्रदाय की दिक्कत नहीं है। बस इतना है कि दिक्कत सबको होनी है किसी को पहले किसी को बाद में। बारी सबकी आनी है।

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