ब्राह्मणों-पिछड़ों को साथ लाकर BJP बुन रही UP की सत्‍ता का ताना-बाना

Update:2016-06-13 11:45 IST

इलाहाबादः बीजेपी की राष्‍ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के पहले ही दिन दो ब्राह्मण नेताओं को राष्‍ट्रीय कार्यसमिति में स्‍थान दिया गया है इससे यह तो तय है कि बीजेपी अब नए किस्‍म की राजनीति करने जा रही है। पार्टी अब ब्राह्मणों और पिछड़ों को साथ जोड़ने की जुगत में लग गई है। उत्‍तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी को आज ही राष्‍ट्रीय कार्यसमिति में लाने के साथ ही लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को महत्‍व दिए जाने को बीजेपी की ब्राह्मण पोषण की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

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इसके साथ ही इलाहाबाद में बैठक करने का मकसद नए प्रदेश अध्‍यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को मजबूती देना है। ताकि ब्राह्मण और पिछड़ों को नया समीकरण बनाकर उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ता तक पहुंचने का ताना-बाना तैयार हो सके।

क्‍या है जातियों का समीकरण

-अभी उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ता में पिछड़ों के नाम पर यादव जाति का ही वर्चस्‍व है।

-बाकी दूसरी 77 पिछड़ी जातियां सिर्फ नाम के लिए ही सत्‍ता का फायदा पा रही हैं।

-सरकारी नौकरियों से लेकर राजनीतिक फायदों तक यादवों का ही बोलबाला है।

-मौर्य, कुशवाहा, कुर्मी और दूसरी पिछड़ी जातियों को कभी बसपा इस्‍तेमाल करती है तो कभी सपा।

-मौर्य ऐसी जाति है जिसे इन दोनों पार्टियों ने कभी मौका नहीं दिया।

-ऐसे में भाजपा ने एक तेज तर्रार युवा नेता केशव प्रसाद को मैदान में खड़ा किया।

-पहले इसका संदेश यह गया कि भाजपा भी पिछडा कार्ड खेल रही है जबकि अपने मूल काडर ब्राह्मणों को भूल रही है।

-इसी भ्रम को दूर करने के लिए कांग्रेस के नेता और पूर्व मुंख्‍यमंत्री विजय बहुगुणा को पार्टी में न केवल लाया गया वरन राष्‍ट्रीय कार्यसमिति का सदस्‍य बनाया गया।

-इसी के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को प्रचंड विजय दिलाने वाले प्रदेश अध्‍यक्ष लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी को भी कार्यसमिति में रख दिया गया।

-कई और ब्राहमण नेताओं को महत्‍व दिया जा रहा है ताकि ब्राह्मणों के बीच से गलतफहमी दूर हो सके।

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