UP: मंत्री ही मुहिम को लगा रहे पलीता! शरीक हुए भू माफिया के कार्यक्रम में
संजीव आनंद
हरदोई: सूबे में भले ही सीएम योगी आदित्यनाथ भू माफियाओं के खिलाफ एंटी भू माफिया दस्ता तैयार कर कार्रवाई की बात करते हों, वहीं दूसरी तरफ योगी के ही मंत्री ने सारे नियम-कायदों को धता बताते हुए भू माफिया के कार्यक्रम न सिर्फ शामिल हुए, बल्कि उसी कब्जाई हुई ज़मीन पर कार्यक्रम में मौजूद रहे।
बता दें, कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के तमाम नेताओं और पदाधिकारियों ने मंत्री महोदय को पत्र लिखकर इस कार्यक्रम में हिस्सा न लेने की दरख्वास्त की थी, बावजूद इसके योगी सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना ने कार्यक्रम में शिरकत की।
कब्जाई जमीन पर कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्री
ज्ञान योग परमार्थ सेवा संस्थान गरीबों के लिए इलाज और तमाम चीज़ों के लिए सुविधाएं मुहैया कराता है। जिसकी ज़मीन पर हरदोई के बड़े व्यवसायी संजीव अग्रवाल जो कि सपा सांसद नरेश अग्रवाल के बेहद करीबी व रिश्तेदार भी हैं ने मारुति सुजुकी के शो रोम, सर्विस सेंटर, बॉडी शॉप, ट्रू वैल्यू जैसे कई अन्य बिजनेस पॉइन्ट करोड़ों रुपए की ज़मीन कब्ज़ा कर बना डाले। साथ ही बीजेपी सरकार आने के बाद से ही सत्ताधारी पार्टी से नजदीकियां बढ़ाने लगे।
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पार्टी नेताओं की बात को नहीं दिया तवज्जो
जब मुख्यमंत्री ने एंटी भूमाफिया मुहिम चलाई तो प्रशासन ने इन्हें राहत दी। इधर व्यवसायी सरकार में पैठ बनाने पर लगे थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी के अवसर पर व्यवसायी ने ज्ञानयोग परमार्थ की ज़मीन पर दिव्यांगों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना को आमंत्रित किया। जिसके बाद बीजेपी पदाधिकारियों ने एक पत्र नगर विकास मंत्री को लिखा और संगठन मंत्री सुनील बंसल को पूरे मामले से रूबरू कराया। बावजूद इसके मंत्री ने पार्टी के नेताओं की बात को तवज्जो न देते हुए कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला लिया।
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मंत्री बोले- अब तक बहुत काले झंडे देखे हैं
इसके बाद बीजेपी नेताओं ने अपनी ही पार्टी के मंत्री को काला झंडा दिखाने व उनके कार्यक्रम में शिरकत न करने की बात कही थी। इस पर मंत्री ने भाषण के दौरान कहा, 'मैंने अपने राजनैतिक जीवन मे बहुत काले झंडे देखे, लेकिन उससे प्रभाव नहीं पड़ता, ईश्वर विरोध करने वालों को सद्बुद्धि दें।'
खूब बना तमाशा
बहरहाल, प्रदेश सरकार में मंत्री का ये कार्यक्रम राजनैतिक गलियारों में सियासी गर्मी ज़रूर बढ़ा गया। चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, लेकिन मंत्री का आना या पार्टी नेताओं का रूठ जाना तमाशा भी बना।