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शामली: गर्भवती महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना और प्रदेश सरकार की ओर से एंबुलेंस सेवा पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन कांधला में स्वास्थ्य विभाग और लेडी डॉक्टर की लापरवाही की वजह से एक महिला की डिलीवरी सड़क पर हुई। इसके बाद भी उसे ना तो एंबुलेंस दिया गया और ना ही हॉस्पिटल ले जाया गया।
वर्ष 2013 के दंगों के बाद कस्बा कांधला के इदरीशबेग बिहार कॉलोनी में दंगा पीड़ित आकर बस गए थे। इदरीशबेग बिहार कॉलोनी के जरीफ की पत्नी गुलशाना को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे कांधला कस्बे के सरकारी हॉस्पिटल में लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने उसे तीन दिन का समय दे दिया। तीन दिन बाद प्रसव पीड़ा होने पर गुलशाना को उसकी सास नसीमन उसे फिर हॉस्पिटल ले गई।
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हॉस्पिटल में तैनात लेडी डॉक्टर ने गर्भवती को तीन-चार दिन बाद आने की बात कहकर घर भेज दिया। लेकिन रास्ते में ही उसे लेबर पेन होने लगा। गुलशाना सड़क पर ही बैठ कर रोने लगी। आवाज सुनकर आसपास की महिलाएं इकट्ठा हो गईं। गुलशाना ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया।
वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विनीता अग्रवाल ने बताया कि नर्स और स्टाफ से पता किया गया है। उनके मुताबिक, महिला को 18 तारीख को अस्पताल में भर्ती किया गया था। जोकि उसी दिन बिना बताए घर चली गई थी। सोमवार को वो हॉस्पिटल आ रहीं थीं तो रास्ते में ही डिलीवरी हो गई।
कांधला प्रसव विभाग का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी 11 जून को एक विस्थापित महिला ने चिकित्सक की लापरवाही की वजह से सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया था। इसकी शिकायत शामली के डीएम से की गई थी।
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