वाराणसी: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावत' के 25 जनवरी को रिलीज होने का रास्ता भले ही साफ हो गया हो, लेकिन इस पर विवाद अब भी बरकरार है। विरोध की चिंगारी अब पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक पहुंच चुकी है। वाराणसी में मंगलवार (23 जनवरी) को हिन्दू समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने खून से ख़त लिखकर फ़िल्म का विरोध किया।
सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम लिखे इस ख़त में हिन्दू समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धमकी दी है कि अगर वाराणसी के किसी भी सिनेमाघर में पद्मावत लगती है, तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। कार्यकर्ताओं ने सिनेमाघरों को जलाने की धमकी दी है। उग्र कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी दिया।
मथुरा में हथियार के साथ सड़क पर उतरे
इसी तरह, मथुरा में फिल्म पद्मावत को लेकर लोग सड़कों पर उतरे। लोगों के हाथों में हथियार थे। खुलेआम चेतावनी देते हुए हथियारबंद लोगों ने कहा, अगर यह फ़िल्म दिखाई गई, तो ब्रज मंडल क्षत्रिय राजपूत महासभा संगठन के लोग प्रदर्शन करेंगे। उग्र लोगों ने मथुरा के हाइवे प्लाजा के पास प्रदर्शन भी किया। सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई।
ताजनगरी में भी दिखी आग
'पद्मावत' की आग ताजनगरी में दिखी। यहां फिल्म दिखाने पर सिनेमा हॉल को बम से उड़ाने और आग लगाने की धमकी फोन पर दी गई। डरे हुए सिनेमा मालिक ने पुलिस से गुहार लगायी है। पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो विरोध-प्रदर्शन नहीं होने देंगे। साथ ही कानून हाथ में लेने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करेंगे।
इन्द्रेश कुमार ने भी फ़िल्म पर विरोध जताया
वहीं, वाराणसी में आरएसएस नेता इन्द्रेश कुमार ने भी फ़िल्म को लेकर बड़ा बयान दिया। उनके मुताबिक इस फ़िल्म से 5 करोड़ राजपूतों की भावनाएं आहत हुई है। उन्होंने फ़िल्म से विवादित सीन को हटाने की मांग की है। इन्द्रेश कुमार के मुताबिक फ़िल्म निर्माताओं को मीडिया या किसी ब्राह्मण या बनिए की बजाय राजपूत प्रतिनिधि को फ़िल्म दिखानी चाहिए थी। उन्होंने कहा था की उन्हें भी फ़िल्म देखने का ऑफर मिला था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इन्द्रेश कुमार के अनुसार, 18वीं सदी के घूमर डांस को 13 वीं सदी का बताना ठीक नहीं है।
जेएनयू पर भी उठाया सवाल
इन्द्रेश कुमार ने जेएनयू को लेकर विवादित टिप्पणी दी। उन्होंने कहा, कि ' पिछले 30 से 40 सालों में जेएनयू से जो फसल निकली, वो देश जोड़ने की नहीं देश तोड़ने की है। ऐसे में पूरी यूनिवर्सिटी कटघरे में खड़ी हो रही है। जेएनयू में देश को तोड़ने का काम हो रहा है। इसमें कन्हैया, कॉमरेड और राहुल जैसे लोग शामिल हैं। लेकिन बीएचयू अभी ऐसा नहीं है। हमें देश को तोड़ने नहीं देश को जोड़ने का काम करना चाहिए।'