लखनऊ: बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सजा से बचाने के लिए खूब पैरवी हुई। खुद सीबीआई के स्पेशल जज शिवपाल सिंह ने सुनवाई के दौरान इसका जिक्र किया था। पैरवी करने वालों में जालौन के डीएम मन्नान अख्तर और एसडीएम भैरपाल सिंह भी शामिल हैं।
वैसे हम आपको पहले ही बता चुके थे कि बहुचर्चित चारा घोटाले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने वाले जस्टिस शिवपाल सिंह स्वयं उत्तर प्रदेश की नौकरशाही से त्रस्त हैं। उन्हें जालौन में अधिकारी चक्कर लगाने को मजबूर कर रहे हैं। मजे की बात तो ये है कि तहसीलदार से लेकर डीएम तक से उन्होंने अपनी शिकायतें की लेकिन कोई उनकी बात सुनने को तैयार ही नहीं है।
ये वही डीएम साहेब हैं जिनके बारे में जस्टिस ने कहा था कि, 12 अक्टूबर 2017 में जिले के डीएम रहे मन्नान अख्तर को जब मैंने अपना परिचय दिया तो उन्होंने कहा आप जाइए पहले कानून पढ़ के आइए, फिर मुझसे बात कीजिएगा।
यहां पढ़िए पूरी खबर : लालू को सजा सुनाने वाले जज को भी यूपी में न्याय का इंतजार
वहीं यह खबर सामने आते ही केंद्र सरकार ने चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार से इसकी रिपोर्ट मांग ली। इससे शासन सकते में है। उधर, सीएम योगी आदित्यनाथ भी अपने अफसर की इस हरकत पर बिफर उठे हैं। उन्होंने राज्य के आला अफसरों को दोपहर तक तलब किया है। दूसरी तरफ, डीएम जालौन मन्नान अख्तर ने इस तरह की पैरवी से साफ इंकार किया है।
जज ने फैसला सुनाने के दौरान किया था जिक्र
दरअसल, बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को बीते दिनों देवघर के कोषागार से चारे के नाम पर 89 लाख रुपए की अवैध निकासी मामले में साढे तीन साल की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माने की सजा हुई है। इस केसे में उनके बचाव में तमाम लोगों ने जज से सिफारिश की। पर इसमें डीएम जालौन का नाम जुड़ने से एक बार फिर विवाद शुरू हो गया। उन्होंने जज शिवपाल सिंह को फोन कर कहा था, कि 'आप लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा।' एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी लालू के बचाव में पैरवी की थी। जज ने अपना फैसला सुनाने के दौरान इसका जिक्र भी किया। उसके बाद से ही दिल्ली से लेकर राजधानी तक की प्रशासनिक मशीनरी सकते में है।
जालौन के रहने वाले हैं जज
बता दें, कि जज शिवपाल सिंह जालौन के शेखपुर खुर्द गांव के रहने वाले हैं। गांव में ही उनकी जमीन पर अवैध कब्जे के विरोध में उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। उनकी जमीन से चक रोड निकाल दिया गया है। जज ने खुद डीएम से न्याय की गुहार लगाई थी। पर उन्हें न्याय नहीं मिला।
डीएम जालौन- मैंने कोई फोन नहीं किया
दूसरी तरफ, डीएम जालौन मन्नान अख्तर का कहना है, कि 'लालू यादव की पैरवी में मैंने कोई फोन नहीं किया। ना ही मैं उनको जानता हूं और ना ही वह मेरे परिचित हैं। यदि जज साहब के पास ऐसा कोई सबूत है तो वह रखें।'