जीएसटी की दर में कमी का श्रेय कांग्रेस को नहीं : कह रहीं है रक्षामंत्री

Update:2017-11-11 20:17 IST

गांधीनगर : रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कांग्रेस द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कमी के लिए श्रेय लिए जाने पर सवाल उठाया और कहा कि 'क्या जीएसटी परिषद उनके अधीन है?' उन्होंने कहा कि पार्टी को पहले कर व्यवस्था पर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।

निर्मला ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "कांग्रेस जीएसटी पर श्रेय लेना चाहती है और वह भी विपक्ष में रहकर, वे यह भी कहना चाहते हैं कि सरकार ने उनके शोर मचाने की वजह से यह कदम उठाया है। उन्हें इस बात पर निर्णय करना चाहिए कि उनका पक्ष क्या है।"

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रक्षामंत्री ने कहा, "वे कैसे यह दावा कर सकते हैं? क्या जीएसटी परिषद उनके अधीन है?"

कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा था कि सरकार ने जीएसटी दर में कमी विपक्षी पार्टी के दबाव में की है।

निर्मला ने कहा कि कांग्रेस नए कर प्रणाली का श्रेय भी लेना चाहती है और इसकी आलोचना भी करना चाहती है।

उन्होंने कहा, "जब यह (जीएसट पर संवैधानिक संशोधन बिल) पास हुआ, तो उन्होंने कहा कि आप हमारे बिल को पास कर रहे हैं। वह श्रेय चाहते थे और प्रधानमंत्री ने बार-बार विपक्ष को इसके लिए शुक्रिया कहा था।"

निर्मला ने कहा, "जीएसटी परिषद बनाया गया और सभी राज्यों के वित्तमंत्री इसके सदस्य बने। वित्तमंत्री अरुण जेटली इसके अध्यक्ष हो सकते हैं, लेकिन इसमें सभी राज्यों की उपस्थिति है और उनके मुद्दे उठाए जाते हैं। अगर कोई असंतुष्ट है तो, हम एक संवेदनशील सरकार होने के नाते बदलाव करते हैं। हम इसे लोगों के लिए करते हैं।"

उन्होंने कहा, "अब वे लोग यह महसूस कर रहे हैं कि सरकार ने सबकुछ कर दिया, विपक्ष की भूमिका अब क्या रह गई। इसलिए वे दोनों तरह की चीजें बोल रहे हैं।"

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निर्मला ने यह भी सवाल किया कि क्या कांग्रेस दशकों तक जीएसटी लागू न करने के लिए आलोचना झेलने के लिए तैयार है?

उन्होंने कहा, "क्या वे दशकों तक जीएसटी लागू नहीं करने के लिए आलोचना झेलने के लिए तैयार हैं? वर्ष 2004 से 2013 तक, वे राज्य सरकारों को विश्वास में नहीं ले सके। राज्य सरकारों ने केंद्र पर भरोसा नहीं किया।"

निर्मला ने कहा, "वे लोग संसद में बाधा पहुंचाने वाली राजनीति में संलिप्त रहे और लोगों ने उन्हें हर राज्य से नकारना शुरू कर दिया।"

जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को 28 प्रतिशत के अधिकतम कर दायरे से 178 वस्तुओं को हटा दिया था। इसके बाद अब केवल 50 उत्पाद ही अधिकतम कर दायरे में रह गए हैं।

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