प्रशिक्षु शिक्षकों को सहायक अध्यापक पद पर ज्वाइनिंग की मांग HC ने ठुकराई

Update:2017-10-25 20:20 IST

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द हो जाने के बाद प्रस्तुत प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में चयनित शिक्षामित्रों को इस पद पर ज्वाइनिंग (कार्यभार ग्रहण) की अनुमति दिए जाने की मांग को बुधवार (25 अक्टूबर) को ठुकरा दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती में खाली रह गए 6,160 पदों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार निर्णय लेने की छूट दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 66655 शिक्षकों की नियुक्ति के बाद खाली बचे 6,160 पदों को नया विज्ञापन जारी कर भर्ती करने का राज्य सरकार को आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस बघेल ने अरविन्द कुमार व कई अन्य याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया।

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ये है मामला

ज्ञात हो, कि राज्य सरकार ने 26 मई 1999 को मानदेय पर शिक्षामित्रों को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए नियुक्ति करने का फैसला लिया था। ग्राम स्तरीय कमेटी की संस्तुति पर जिलास्तरीय कमेटी के अनुमोदन से शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई। यह नियुक्तियां सर्व शिक्षा अभियान को अमलीजामा पहनाने के लिए की गई। एक जुलाई 2011 को संसद से पारित अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 लागू किया गया। राज्य सरकार ने 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना जारी कर शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से प्रशिक्षण देने का फैसला लिया। याचियों का कहना है कि उन्होंने दो वर्षीय डिप्लोमा लिया और टीईटी पास किया और प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में चयनित हुए।

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कोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार

इसी बीच राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया। 19 जून 2013 को शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी पुष्टि की। इस फैसले के बाद प्रशिक्षु शिक्षक पद पर चयनित याचियों ने समायोजन रद्द होने के बाद सहायक अध्यापक पद पर ज्वाइन कराने की मांग में हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।

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अध्यापकों की फर्जी नियुक्ति मामले में डीआईओएस पर केस दर्ज करने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के इंटरमीडिएट कालेज में अध्यापकों की भर्ती नियुक्ति के मामले में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कृपाशंकर तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति राजीव जोशी की पीठ ने दिया। याचिका के अनुसार जौनपुर इंटर कॉलेज नेवढ़िया में बिना स्वीकृत पद के 20 अध्यापकों की फर्जी तरीके से नियुक्ति कर दी गई। इनको राज्य सरकार के खजाने से वेतन भी जारी किया जाता रहा। मामला खुलने पर सचिव ने इसकी जांच की और कालेज के प्रधानाचार्य तथा प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। कोर्ट ने कहा, कि फर्जी नियुक्त अध्यापकों को सरकारी खजाने से वेतन दिया जाता रहा, ऐसा जिला विद्यालय निरीक्षक की मंजूरी के बिना संभव नहीं है। कोर्ट ने संबंधित दोषी डीआईओएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। सचिव ने कोर्ट को बताया कि डीआईओएस पर मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

 

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