रंजिश या आतंकी साजिश: आखिर किसने मारी NIA के DSP तंजील को गोलियां ?

Update:2016-04-03 15:10 IST

बिजनौर: पठानकोट हमले की जांच कर रहे एनआईए के डिप्टी एसपी मोहम्‍मद तंजील अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। शनिवार देर रात दो बजे कुछ हमलावरों ने उन्हें गोलियां मारीं। इस हमले में उनकी पत्नी भी जख्मी हैं। अभी तक हत्यारों का सुराग नहीं लगा है। यह स्पष्ट नहीं है कि हत्या किसी रंजिश की वजह से हुई या कोई और बड़ी साजिश है। डीएसपी के भाई और दोस्त ने शक जताया है कि तंजील की हत्या आतंकियों ने की है। कुछ और बातें भी इस ओर इशारा कर रही हैं।

डीजीपी ने कहा पहली नजर में टैरर अटैक नहीं

डीजीपी जावीद अहमद ने newztrack.com से कहा कि शुरुआती जांच में अभी तक टैरर अटैक की बात सामने नहीं आई है। जांच अभी जारी है।

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हमले के पीछे आतंकी कनेक्‍शन तो नहीं…

-तंजील पर ऑटोमेटिक वेपेंस से गोलियां बरसाई गई हैं। हत्या में 9 एमएम पिस्टल का प्रयोग हुआ है, जो आम लोगों के पास नहीं मिलता है।

-एक्सपर्ट्स की मानें तो यह पिस्टल पश्चिम बंगाल में बनाई जाती है।इसकी फैक्‍ट्री रक्षा मंत्रालय के तहत आती है।

-यह पिस्टल कई बार नक्सलियों के पास मिलती है।

परिवार के साथ तंजील अहमद

बिजनौर का आतंकी कनेक्शन

-बिजनौर का पहले भी आतंकी कनेक्शन जुड़ चुका है। कुछ साल पहले वहां ब्लास्ट भी हुआ था।

-सूत्रों की मानें तो वहां अभी भी कुछ आतंकी संगठनों के स्लिपर सेल सक्रिय हो सकते हैं।

-तंजील बिजनौर बम ब्‍लास्‍ट की जांच से भी जुड़े थे।

डिप्‍टी एसपी के भाई ने क्‍या कहा

-तंजील अहमद के भाई ने कहा है कि उनकी किसी से दुश्‍मनी नहीं थी। वह बहुत ही खुशमिजाज व्‍यक्ति थे।

-वह पठानकोट हमलों की जांच कर रहे थे। हो सकता है इस वजह से उनकी हत्या की गई हो।

तेज तर्रार और काबिल अफसर थे तंजील

-तंजील अहमद के साथ काम कर चुके कुछ एटीएस के अफसरों ने बताया कि वे एनआईए के लिए एक एसेट थे और काफी तेज तर्रार अफसर माने जाते थे।

-उनकी फील्ड में मजबूत पकड़ और अच्छे नेटवर्क को देखते हुए एनाईए ने पठानकोट आतंकी मामले की जांच में लियाजनिंग ऑफिसर बनाया था।

पठानकोट हमले की जांच में भी जुड़े थे

-जानकारी के मुताबिक तंजील एनआईए में डेपुटेशन पर आए थे।

-वे कोर ऑपरेशन टीम का हिस्सा थे। देश में सभी छोटी-बड़ी आतंकी घटनाओं की जांच में वे शामिल होते थे।

-पिछले दिनों पठानकोट हमले को लेकर पाक से आई जेआईटी टीम के साथ भी इंडियन अफसरों के डेलिगेशन में वे शामिल थे।

-एनआईए दफ्तर में उन्होंने पाकिस्तानी अफसरों से बातचीत भी की थी।

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