कर्नाटक :सियाचिन में बर्फीले तूफान का शिकार हुए लांस नायक हनुमंथप्पा का शुक्रवार दोपहर धारवाड़ स्थित उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनका पार्थिव शव जैसे ही गांव पहुंचा तो अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सियाचिन में 6 दिनों तक बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद जिंदा निकले गए लांस नायक हनुमंथप्पा ने गुरुवार को दिल्ली के आरआर अस्पताल में आखिरी सांसें ली। हुबली एयरपोर्ट पर कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आर्मी हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज
सियाचिन में रेस्क्यू किए जाने के बाद से हनुमनथप्पा का दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने हॉस्पिटल जाकर डॉक्टरों से उनके बारे में जानकारी ली थी। हनुमनथप्पा के लिए पूरे देश में दुआ और प्रार्थना की जा रही थी। देशभर के स्कूलों में बच्चे उनके स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे। लखनऊ में विशेष नमाज अदा की गई तो वाराणसी में गंगा घाट पर उनके लिए आरती की गई।
सियाचिन में हिमस्खलन की चपेट में आए थे 10 सैनिक
दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम युद्ध क्षेत्र सियाचिन में तीन फरवरी को हिमस्खलन हुआ था। इसकी चपेट में जेसीओ समेत सेना के सभी 10 जवान आ गए थे। छह दिन बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हनुमनथप्पा बर्फ के नीचे से जीवित निकाला गया। सेना और वायुसेना का बचाव दल अपने खोजी कुत्तों और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से उनका पता लगाने में जुटा था। सभी जवान सेना की मद्रास रेजिमेंट से थे।
बीते साल भी हुई थी ऐसी घटना
बीते चार माह के दौरान सियाचिन में हिमस्खलन में सैन्यकर्मियों के मारे जाने अथवा लापता होने की यह तीसरी घटना है। 13 नवंबर, 2015 को सियाचिन ग्लेशियर के दक्षिणी छोर पर हुए हिमस्खलन में सेना की 3 स्काउट्स के कैप्टन अश्वनी कुमार शहीद हो गए थे, जबकि 15 जवानों को बाद में बचाव दल ने बचा लिया था। इसके बाद इसी इलाके में तीन जनवरी, 2016 को हुए हिमस्खलन में 3 स्काउट्स से संबंधित चार जवान शहीद हो गए थे।