शारिब जाफरी
लखनऊ: यूपी पुलिस में भ्रष्टाचार का 'लेटर बम' फूटा है। 20 सितम्बर को एडीजी होमगार्ड ने डीजी होमगार्ड को चिठ्ठी लिखकर विभागीय जांच और एफआईआर की संस्तुति की थी। लेकिन न तो एफआईआर हुई और न विभागीय कार्रवाई। बल्कि एडीजी को ही 25 अक्टूबर को हटा दिया गया। अब एडीजी होमगार्ड जसवीर सिंह की चिठ्ठी सार्वजनिक होने के बाद डीजी होमगार्ड सूर्य कुमार शुक्ला ने जांच के आदेश देकर मामले की लीपापोती शुरू कर दी है।
यूपी पुलिस में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके सामने एडीजी स्तर का अधिकारी भी धराशायी हो जाता है। ऐसे ही मामले का खुलासा आईपीएस अफसर जसवीर सिंह की चिठ्ठी ने किया है।
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एडीजी को चिट्ठी लिखना भारी पड़ा
एडीजी को चिट्ठी डीजी होमगार्ड के पद से हटाए जा चुके जसवीर सिंह ने 20 सितम्बर को डीजी होमगार्ड सूर्य कुमार शुक्ला को चिठ्ठी लिखकर भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए विभागीय कार्यवाही के साथ ही एफआईआर दर्ज कराने की संस्तुति की थी। इससे पहले एडीजी होमगार्ड जसवीर सिंह इसी तरह की 4 चिठ्ठियां लिख चुके थे। पांचवीं चिठ्ठी 20 सितम्बर को लिखी गई। विभाग में फैले भ्रष्टाचार और अराजकता का विरोध करना एडीजी को भारी पड़ गया। इस मामले में कार्रवाई होना तो दूर उलटा एडीजी होमगार्ड जसवीर सिंह को ही 25 अक्टूबर को हटा दिया गया। जसवीर सिंह अब एडीजी रूल्स एड मैनुअल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
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आखिर क्यों दबायी गई आईपीएस अफसर की रिपोर्ट?
अब भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले लेटर बम के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। लेटर बम के सामने आने के बाद डीजी होमगार्ड सूर्य कुमार शुक्ला ने जांच के आदेश दिए हैं। एसएसओ सुनील कुमार मामले की जांच कर 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर एक सीनियर आईपीएस अफसर की रिपोर्ट को क्यों दबाए रखा गया और क्यों दोषियों पर कार्रवाई के बजाए भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले अफसर को ही हटा दिया गया?