जानिए मथुरा का पूरा सच,कहां से जुड़े उपद्रव के तार और राम वृक्ष की जड़ें

Update:2016-06-03 22:14 IST

Yogesh Mishra

मथुरा में वितंडा हुआ। सबने सारे किरदारों को जाना। एक सत्याग्रही के विद्रोही होने की कहानी सुनी। दरअसल मथुरा के जोरबाग में जो कुछ हुआ, वो न तो एक दिन का उपद्रव है न ही एक दिन की उपज। यह कहानी शुरू होती है। जयगुरुदेव की मौत के दिन से। जयगुरुदेव की मौत के बाद ही रामवृक्ष यादव अपने सागर आश्रम से चलकर दिल्ली के लिए कूच कर गया। दरअसल, रामवृक्ष का मकसद कुछ और था। यह लड़ाई सिर्फ आंदोलन की नहीं बल्कि जयगुरुदेव की संपत्ति की थी। साथ ही यह लड़ाई सत्ता केंद्रों की भी है।

क्या थी लड़ाई ?

रामवृक्ष सागर से किसी आंदोलन के चलते नहीं बल्कि जयगुरुदेव का उत्तराधिकारी बनने की फिराक में था। इससे पहले की वह कुछ करता पंकज (वर्तमान उत्तराधिकारी) की ताजपोशी हो गई थी। इसके बाद रामवृक्ष ने बाकायदा बाबा जयगुरुदेव के मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए मथुरा में आंदोलन भी किया था और देश के सभी चैनलों पर अपनी बात भी रखी थी। इस आंदोलन के बाद जोरबाग में उसने अपना अड्डा बनाया। इस बीच बाबा के एक और अनुयायी उन्नाव के उमाकांत ने भी आश्रम छोड़ दिया। उनके पास सिर्फ बाबा की खड़ाऊ थी और कुछ नहीं था।

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रामवृक्ष के पिछले दो साल से मथुरा में 250 एकड़ सरकारी जमीन पर बाकायदा कैंप लगाकर, गेट बनाकर, बड़ी बड़ी होर्डिंग्स लगाकर हजारों की संख्या में लोगों के साथ कथित तौर पर सत्याग्रह कर रहा था और प्रशासनिक अमले को इसकी खबर तक नहीं हो सकी, यह स्वीकार करने योग्य तथ्य नहीं है।

जानकार कहते हैं कि शुरुआत में यह पंकज को स्थापित करने के लिए 'टाइम बाय' करने की रणनीति थी। बाद में पंकज पर प्रदेश की एक सत्ता केंद्र का हाथ होने की बात देखकर दूसरे सत्ता केंद्र ने रामवृक्ष पर हाथ रख दिया। यही वजह थी कि सत्याग्रह को इतना वक्त मिल गया। वास्तव में यह लड़ाई जयगुरुदेव की विरासत की लड़ाई से कहीं बढ़कर अब यूपी के दो सत्ताकेंद्रों की जोर आजमाईश में बदल चुकी थी।

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क्या था यह आंदोलन ?

यह कथित सत्याग्रह कोई सामान्य आंदोलन भर नहीं था। इस सत्याग्रह का बाकायदा फेसबुक पेज है जिसमें इसके बारे में काफी विस्तार से सूचनाएं दर्ज है। इस सत्याग्रह में पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही करीब सात हजार लोग जुड़े हैं। आंदोलन का मुखिया रामवृक्ष यादव खुद गाजीपुर का निवासी है।

उसके अलावा देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर, खासकर मुन्देरवा, गोंडा, बभनान, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, जौनपुर के आलावा बिहार, नेपाल और मध्यप्रदेश से भारी संख्या में लोग इस मिशन से जुड़े हैं। कथित तौर पर ये सभी बाबा जयगुरुदेव के अनुयायी बताए जा रहे हैं।

पता तो यह भी चल रहा है कि यह आंदोलन इतना गहरा बन चुका है कि चुनाव में हर दल के बड़े नेताओं को भी इन आंदोलनकारियों से समर्थन कि जरूरत पड़ती है। एक बड़े नेता ने बीते लोकसभा चुनाव में इनका इस्तेमाल भी किया था। इस सत्याग्रह का आधार है कि .....

-भारत अभी आज़ाद नहीं हुआ है। यह ब्रिटिश इंडिया का ही रूप है।

-इस भारत के कानून इन आंदोलनकारियों को स्वीकार्य नहीं है।

-ये भारत कि मुद्रा को दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा मानते हैं।

-ये भारत के वर्तमान संविधान को नहीं मानते।

-ये भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को भी ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि ही मानते हैं।

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सत्याग्रहियों पर मुकदमों की लंबी फेहरिस्त

सत्याग्रहियों पर मुकदमों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इसमें ज्यादातर मुकदमे सिर्फ जयगुरुदेव के आश्रम में घुसने को लेकर हैं। अगर मुकदमों पर नज़र दौड़ाई जाए तो

-17 जून 2011 को बाबा जयगुरुदेव आश्रम निवासी रवि, सुरेशचंद्र पर कथित सत्याग्रहियों का हमला। इनके नेता रामवृक्ष यादव निवासी रामपुर बागपुर थाना मुरगढ़ जिला गाजीपुर समेत 15 लोगों नामजद और सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ जानलेवा हमला कर बलवा, मारपीट और धमकी दिए जाने का मुकदमा दर्ज।

-7 जून 2014 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने की रिपोर्ट 250 कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।

-15 जून 2014 को ठेकेदार जयप्रकाश ने पेड़ों के फल तोडऩे, काटने और जान से मारने की धमकी दिए जाने की रिपोर्ट थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।

-24 सितंबर 2014 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रिपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।

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-2 अक्टूबर 2013 को जवाहर बाग संरक्षण अधिकारी ने गाली-गलौज करके सरकारी कार्य में बाधा डालना और सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने की रामवृक्ष समेत उनके समर्थकों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।

-29 नवंबर 2014 को जिला उद्यान अधिकारी मुकेश कुमार ने सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रिपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई।

-22 जनवरी 2015 को थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय ने सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को कब्जा करने, क्षति पहुंचाने और विरोध करने पर गाली-गलौज कर धमकी देने के रिपोर्ट कथित सत्याग्रहियों के खिलाफ थाना सदर बाजार में दर्ज कराई थी।

-15 जून 2015 को सहायक उद्यान निरीक्षक जवाहर बाग रामस्वरूप शर्मा ने बलवा करने, गाली-गलौज करने, सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने और धमकी देने की रिपोर्ट स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रही पूर्वी प्याऊ तोरी सागर मध्यप्रदेश के मुखिया रामवृक्ष यादव समेत 150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

-15 जून 2015 को सहायक उद्यान निरीक्षक जवाहर बाग संपत्ति निरीक्षक रामस्वरूप शर्मा ने बलवा करने, गाली-गलौज करने, सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने और धमकी देने की रिपोर्ट स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रही पूर्वी प्याऊ तोरी सागर मध्यप्रदेश के मुखिया रामवृक्ष यादव समेत 150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

-27 मई 15 को जवाहरबाग में तैनात कर्मचारी जगदीश प्रसाद ने रामवृक्ष यादव, चंदनबोस समेत 20 लोगों को नामजद करते हुए 100-150 लोगों के खिलाफ मारपीट कर जवाहर की संपत्ति पर कब्जा करने की रिपोर्ट थाना सदर में दर्ज कराई थी।

-16 मार्च 2016 को कलेक्ट्रेट कर्मचारी देवी सिंह ने रामवृक्ष यादव समेत अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट करने और धमकी देने का रिपोर्ट कराई थी।

-8 अप्रैल 2016 को तहसील सदर के अमीन चंद्रमोहन मीना और मोतीकुंज निवासी अजय प्रताप मीणा ने रामवृक्ष यादव, चंदन बोस समेत 250 लोगों के खिलाफ थाना सदर बाजार में बलवा करने, अपहरण करने, मारपीट करने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और जानलेवा हमला करने की रिपोर्ट कराई थी। ये घटना चार अप्रैल की थी।

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-4 अप्रैल 2016 को अधिवक्ता राकेश कुमार ने बलवा करके तहसील परिसर में लूटपाट करने का रामवृक्ष यादव, चंदनबोस 200-250 लोगों के खिलाफ थाना सदर में मुकदमा दर्ज कराया था।

-4 अप्रैल 2016 को तहसील सदर में तैनात लेखपाल नितिन चतुर्वेदी ने तहसील परिसर में घुसकर बलवा करने, लूटपाट और धमकी देने के साथ-साथ सरकारी कार्य में बाधा डालने का रामवृक्ष यादव, चंदनबोस समेत 200-250 लोगों के खिलाफ थाना सदर में मुकदमा दर्ज कराया था।

बाबा जयगुरुदेव से संबंध

बाबा जयगुरुदेव से जुड़ी घटनाओं को याद कीजिए तो साफ पता चलता है कि ये वही बाबा थे जिन्होंने खुद को कभी कानपुर में नेताजी सुभाष के रूप में पेश कर दिया था। रामवृक्ष जो सत्याग्रह चला रहा है उसमें भी वह जयगुरुदेव की मौत को नकारता है।

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