शिया धर्मगुरु को नहीं पसंद सपा-कांग्रेस का साथ, कहा- यूपी दंगों में हुआ मुसलमानों का नुकसान

Update:2017-01-30 18:00 IST

लखनऊ: अखिलेश को मुस्लिम विरोधी बताने वाले मुलायम सिंह के बयान के बाद अब मुस्लिम धर्मगुरु भी अखिलेश यादव के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। शिया सुन्नी एकता फ्रंट के मंच से सोमवार को शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने सपा और कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए खुलकर विरोध किया। मुस्लिम धर्मगुरुओं के इस साझा मंच से सपा कांग्रेस-गठबंधन को समर्थन देना तो दूर बल्कि इन दोनों ही दलो को मुस्लिम विरोधी बताते हुए हमला किया गया।

कहा-गुजरात दंगो से ज़्यादा उत्तर प्रदेश के दंगो में हुआ मुस्लिम समुदाय को नुकसान

समाजवादी सरकार को दंगो के लिए ज़िम्मेदार करार देते हुए मौलाना ने कहा कि सपा सरकार के राज में प्रदेश में तक़रीबन 400 दंगे हुए, जिनमें बड़े दंगे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मुज़्ज़फरनगर दंगो में मुसलमानों का नुकसान 2002 में गुजरात में हुए दंगो से कही ज़्यादा हुआ है। सपा सरकार को दंगों का कसूरवार मानते हुए उन्होंने साफ़ कर दिया कि सूबे में होने वाले सभी दंगो में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के करीबी ही लोग शामिल पाए गए।

दंगा पीड़ित शिविर पर चलता रहा बुल्डोज़र, सपा में मनता रहा जश्न

मौलाना कल्बे जव्वाद ने यूपी की जनता से अपील करते हुए कहा कि आने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी को नकारते हुए प्रदेश में धोखेबाज़ों को दोबारा न आने दें। मुज़्ज़फ़नगर दंगो की परत खोलते हुए मौलाना ने सपा के कद्दावर मंत्री आज़म खान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब मुज़्ज़फरनगर दंगा पीड़ितों के शिविर पर बुल्डोज़र चल रहा था, तब आज़म खान करोड़ों रुपए खर्च कर के मुलायम सिंह का जन्मदिन मना रहे थे।

कांग्रेस पर मुसलमानों की जड़े काटने का लगाया आरोप

इस दौरान मौलाना कल्बे जव्वाद सपा-कांग्रेस के गठबंधन से भी खफा नज़र आए। उन्होंने इस गठबंधन का खुलकर विरोध किया और कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही मुसलमानों की जड़ें काटने का काम किया है और अब अगर सूबे में सपा-कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार आई तो यह दोनों मिलकर मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचाएंगें। लोकसभा चुनाव में भी मौलाना ने कांग्रेस के खिलाफ वोट न करने की अपील की थी, जिसका खामियाज़ा कांग्रेस को उठाना पड़ा था और अब उलेमा साझा मंच से सपा-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ अपील कर रहे हैं। हालांकि मौलाना ने अभी तक किसी भी दल को समर्थन देने की बात साफ नहीं की है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा की मौलाना की यह अपील विधानसभा चुनाव पर क्या असर डालती है।

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