माया ने बिछाया खुफिया जाल, नेता-अफसर और पत्रकार रख रहे हैं नजर

Update: 2016-07-05 04:17 GMT

 

राजेन्द्र के. गौतम

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी की गतिविधियों और बहुजन समाज पार्टी में तोड़-फोड़ के दायरे में आने वाले संदिग्ध नेताओं, पदाधिकारियों और विधान सभा के प्रत्याशियों से सतर्क रहने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुफिया जाल बिछा दिया है। बसपा ने संदिग्ध नेताओं, पदाधिकारियों और विधान सभा के प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए नेताओं, अफसरों और पत्रकारों की सेवाएं ली हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे बसपा की डैमेज कंट्रोल रणनीति के तौर पर देख रहे हैं।

भाजपा से निपटने की बसपा सुप्रीमो की रणनीति

-बसपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के दिग्गज नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी के अचानक बसपा छोडऩे और बसपा की राष्ट्रीय नेता पर हमलावर होने की घटना को बड़ी चूक माना है।

-बसपा का इतिहास रहा है कि अभी तक बसपा ही नेता और पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाती रही है। पहली बार स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी के मामले में चूक हुई है।

-इसका असर बसपा और मायावती दोनों पर पड़ा है। इन सब घटनाक्रमों के पीछे कहीं न कहीं भाजपा के तार मिल रहे हैं।

-बसपा इस बात को अच्छी तरह जानती है कि बसपा को बदनाम करने और तोड़-फोड़ करने के लिए भाजपा हर तरह के साम, दाम, दण्ड और भेद का सहारा ले रही है।

-हाल की घटनाओं से सबक लेते हुए बसपा ने भाजपा और बसपा के नेताओं, पदाधिकारियों और प्रत्याशियों पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है।

-इसके लिए बसपा ने अपने कुछ खास सिपहसालारों और दूसरों दलों के नेताओं, अफसरों और पत्रकारों को सुरागरसी के लिए लगाया है। जिससे समय रहते हुए डैमेज कंट्रोल किया जा सके।

छवि की चिंता

-बसपा के एक दिग्गज नेता का कहना है कि बसपा को अधिक खतरा भाजपा की गतिविधियों से है। इसके लिए लगाए गए लोगों ने बसपा को डैमेज करने के लिए कई ऑपरेशन चला रखे हैं।

-इसके साथ ही इन दिनों भाजपा के इशारे पर मीडिया में बसपा की छवि को खराब करने के लिए नकारात्मक लेख, खबरें चलाई जा रही हैं जिससे जनता में बसपा की छवि खराब हो और उसका लाभ भाजपा को मिले।

-इसका जवाब बसपा सुप्रीमो मायावती और कुछ खास सिपहसलार मीडिया में पूरा पक्ष रख कर देंगे। साथ ही भाजपा के कारनामों का खुलासा भी करेंगे।

-राजनीतिक विश्लेषक एपी दीवान का कहना है कि अगर बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह कदम उठाया है तो यह समय की मांग है।

-अपने घर पर नजर रखने के लिए हर दल इस तरह के उपाय कर रहा है। चुनाव का वक्त है, राजनीतिक दलों में नेताओं के आने-जाने का सिलसिला जारी रहेगा।

-मीडिया में इस बात का खूब महिमा मंडन किया जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी के जाने के बाद से बसपा का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। कुछ राजनीतिक दलों के इशारे पर बसपा के खिलाफ इस तरह का अभियान चलाया जा रहा है।

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