नैनीताल HC से केंद्र को बड़ा झटका, 31 को विधानसभा में होगा फ्लोर टेस्ट

Update:2016-03-29 14:54 IST

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम हरीश रावत को मंगलवार को बड़ी राहत और केंद्र सरकार को उतना ही बड़ा झटका दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हरीश रावत को 31 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने को कहा है।

नहीं गिने जाएंगे बागियों के वोट

आदेश के अनुसार, बागी नौ विधायक जिनकी सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष ने खत्म कर दी थी उन्हें भी वोट देने का अधिकार होगा, लेकिन उनके वोट गिने नहीं जाएंगे। बागी विधायकों के वोट को अलग रखा जाएगा। हाईकोर्ट बागी विधायकों के बारे में 1 अप्रैल को फैसला सुनाएगा।

क्या कहा सिंघवी ने?

कांग्रेस की ओर से हाईकोर्ट में दलील रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गवर्नर के के पाल ने भी सरकार से 28 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने को कहा था लेकिन उसके एक दिन पहले ही प्रेसिडेंट रूल लगा दिया गया।

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रावत ने करवाई 34 विधायकों की परेड

-उत्तराखंड के निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने अपने साथी विधायकों के साथ सोमवार को गवर्नर से भेंट की।

-रावत ने 34 विधायकों की लिस्ट सौंपने के साथ ही विधायकों की परेड भी करवाई।

-70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 9 विधायकों की बगावत के बाद अब सदन में कांग्रेस के 9 विधायकों की बगावत के बाद अब सदन में कांग्रेस के 27 विधायक हैं।

-साथ ही 3 निर्दलीय, बीएसपी के दो और यूकेडी के एक विधायक का भी समर्थन उनके पास है। बीजेपी के एक बागी को मिलाकर कुल 34 विधायक कांग्रेस के पास सदन में है।

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उत्तराखंड में लगा है प्रेसिडेंट रूल

-कांग्रेस के नौ विधायकों के बागी होने के बाद उतराखंड में राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई थी।

-राज्यपाल केके पॉल ने हरीश रावत को 28 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था।

-इस विधायकों के खरीद-फरोख्त के आरोप-प्रत्यारोप के बीच केंद्र की सिफारिश पर 27 मार्च 0को राज्य में प्रेसिडेंट रूल लगा दिया गया।

-इसके खिलाफ कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

प्रेसिडेंट रूल पर क्या कहा था अरुण जेटली ने?

-धारा 356 के प्रयोग का इससे बेहतर कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है।

-पिछले नौ दिन से हर दिन संविधान के प्रावधानों की हत्या हो रही थी। राज्य में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा चुकी थी।

-संविधान में लिखा है कि जब बजट फेल होता है तो इस्तीफा देना होता है।

-स्वतंत्र भारत में पहला उदाहरण है जब एक एक फेल्ड बिल को बिना वोट लिए पारित होने की घोषणा कर दी गई।

-18 तारीख के बाद से जो सरकार चली है वो असंवैधानिक है।

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