नई दिल्ली: मॉब लिंचिग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि ऐसी घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं। ऐसे में सबको समाज में शांति और एकता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के लिए राजनीति से ऊपर उठना होगा। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं और ऐसी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात उन्होंने और बीजेपी ने हर बार कही है।
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बता दें, हाल ही दिए एक इंटरव्यू नै पीएम मोदी ने कहा था कि मॉब लिंचिंग एक तरह से अपराध ही है। मॉब लिंचिंग पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी घटनाओं को सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रखना चाहिए और न ही इसपर कोई राजनीति करनी चाहिए। अगर ऐसा हो रहा है तो ये एक मजाक ही है।
क्या होता है मॉब लिंचिंग?
'मॉब लिंचिंग' की घटनाएं पिछले कुछ समय से देश के कई राज्यों में हो रही हैं और इसके खिलाफ संसद से सड़क तक आवाज उठाई जा रही है। सड़क पर न्याय यानी भीड़ द्वारा मौत की सजा के लिए इस्तेमाल किए जा रहे अंग्रेजी के शब्द 'मॉब लिंचिंग' के अंश 'लिंचिंग' की उत्पत्ति कैसे हुई, इस पर कभी आपने गौर किया है?
'लिंचिंग' शब्द दरअसल विलियम लिंच के नाम से जुड़ा है। इस शख्स का जन्म अमेरिका के वर्जिनिया प्रांत में हुआ था। विलियम कैप्टन लिंच ने एक न्यायाधिकरण बना रखा था और उसका वह स्वघोषित जज था। उसका हर फैसला समाज में उन्माद फैलाने वाला होता था। किसी भी आरोपी का पक्ष सुने बगैर व किसी भी न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए बिना आरोपी को सरेआम मौत की सजा दे दी जाती थी।
लिंचिंग का सबसे अधिक शिकार अमेरिका में अफ्रीकी मूल के लोग हुए। सन् 1882-1968 के बीच 3,500 से अधिक लोग यहां मौत के घाट उतार दिए गए। ये अपने आप में एक रिकार्ड है।
कैप्टन विलियम लिंच का जन्म 1742 में हुआ था और मौत 1820 में। 'लिंचिंग' शब्द सन् 1780 में गढ़ा गया और इसका इस्तेमाल शुरू हुआ था। उस समय लिंचिंग सिर्फ अमेरिका तक सीमित था, पर समय के साथ यह कुप्रथा अन्य देशों में भी फैलती चली गई। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के भारत में आज 'लिंचिंग' का प्रयोग राजनीतिक हथियार के रूप में होने लगा है।