नई दिल्लीः पंजाब और यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की नैया पार लगाने का जिम्मा पार्टी ने पोल स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत किशोर उर्फ पीके को सौंपा था। अंदर से खबर अब ये छनकर आई है कि पीके कांग्रेस का दामन छोड़ सकते हैं। दरअसल, दोनों राज्यों में उनके तौर-तरीकों से कांग्रेस के नेता खुश नहीं हैं। पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद तक उनके खिलाफ बोल चुके हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर ने काम करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। कहा जा रहा है कि उनकी शर्तों पर अब पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी फैसला करेंगे।
ये हैं प्रशांत किशोर की शर्तें
-प्रशांत किशोर काम के लिए पूरी आजादी चाहते हैं।
-वह चाहते हैं कि कांग्रेस के नेता उनके खिलाफ कुछ न बोलें।
-टिकट वितरण और प्रत्याशी चुनने में भी अपनी भूमिका चाहते हैं।
-कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित की टीम बनाना चाहते हैं।
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क्यों हो रहा है विरोध?
-प्रशांत किशोर के तौर-तरीके कांग्रेस के नेताओं को पच नहीं रहे हैं।
-टिकट वितरण और प्रत्याशी चुनने में उनकी भूमिका का विरोध हो रहा है।
-दिग्गज कांग्रेसियों की टीम बनाए जाने के सुझाव पर भी नेताओं को आपत्ति है।
-पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दायरे से बाहर जाकर काम करने का आरोप लगाया।
-राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि संगठन के मामलों में पीके का दखल नहीं हो सकता।
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कौन हैं प्रशांत किशोर?
-प्रशांत किशोर पहले यूनाइटेड नेशन्स के साथ जुड़े हुए थे।
-साल 2014 में बीजेपी के लोकसभा चुनाव कैम्पेन से जुटे और पार्टी को जीत दिलाई।
-बीते दिनों बिहार चुनाव में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की पोल स्ट्रैटेजी तैयार की थी।
-पीके की रणनीति से ही बिहार में गठबंधन सत्ता में आया।