अयोध्या मुद्दे पर सीधी बात, रंग लाएगी योगी से श्री श्री रविशंकर की मुलाकात !
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने बुधवार (15 नवंबर) को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से करीब आधे घंटे मुलाक़ात की।
लखनऊ : अयोध्या विवाद के समाधान के लिए फ़ॉर्मूला तलाश रहे आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर पुरजोर ताकत लगा रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर वह बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले। करीब 30 मिनट तक चली इस मुलाकात में अयोध्या मसले पर संभावित फ़ॉर्मूर्लों पर विचार विमर्श किया।
ऐसा माना जा रहा है कि सीएम से चर्चा कर श्री श्री रविशंकर मध्यस्थता का एक फ़ॉर्मूला तराश रहे हैं। जिसे वह गुरूवार (16 नवंबर) को अयोध्या जाकर धार देने वाले हैं। बताया जा रहा है कि अयोध्या में वे हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही पक्षकारों से मुलाकात करेंगे। इसके जरिए अयोध्या विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने की कोशिश होगी। अहम बात ये है कि अयोध्या मामले पर किसी का हस्तक्षेप स्वीकार न करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी पहली बार इनकी मध्यस्थता को स्वीकार कर रही है।
इससे पहले मंगलवार को वृंदावन में श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि इस मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता सकारात्मक परिणाम तक पहुंचेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पक्षकार आपसी सहमति से मंदिर मामले में निर्णायक फैसला निकालने का प्रयास करेंगे। सीएम योगी ने भी रविशंकर की मुलाकात को लेकर कल ही कहा था कि अगर कोई सुलह के लिए आगे आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।
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गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अयोध्या से निकाय चुनाव प्रचार की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि राम के बगैर भारत में कोई काम नहीं हो सकता है। राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं। भारत की पूरी आस्था के केंद्र बिंदु हैं। योगी ने कहा कि हम अयोध्या को उसका गौरव वापस दिला कर रहेंगे।
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श्री श्री रविशंकर ने अक्टूबर महीने में बेंगलुरु में एक बयान देकर खुद इस विवादित मसले के हल के लिए मध्यस्थता करने की बात कही थी। तभी से वह इसका ब्लूप्रिंट तैयार करने में जुटे हैं। इसके चलते उनसे शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मुलाकात कर कोर्ट के बाहर इसे सुलझाने को लेकर अपनी सहमति दी थी। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मंदिर बनाने की बात पर सहमत होता नहीं दिख रहा है। अब गुरूवार को अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर अयोध्या जाकर क्या गुल खिलाते हैं। यह तो भविष्य के गर्भ में है।
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अयोध्या मसले का विवाद 68 साल पुराना है। साल 1949 में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। जिसके बाद विवादित ढांचे पर राजनीति शुरू हुई। हालांकि, अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की इस पहल का हिंदू महासभा विरोध कर रही है। वही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की सहमति का विरोध कर रहा है।
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